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ILFS संकट: Grant Thorton ने पेश की अंतरिम रिपोर्ट, 13 हजार करोड़ की संदेहात्मक लेनदेन आया सामने

locationनई दिल्लीPublished: Mar 04, 2019 04:28:12 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

ग्रांट थॉर्टन की अंतरिम रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी में वित्तीय अनियतमित्ता, हिंतों के टकराव, और बैंकिंग नियमों के उल्लंघन का मामला सामने आया है।
इसमें से 6 हजार करोड़ रुपए से अधिक IL&FS फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड से संबंधित है, जिसमें कहा गया है कि बैंकिंग गवर्नेंस नियमों का उल्लंघन किया गया है।

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ILFS संकट: Grant Thorton ने पेश की अंतरिम रिपोर्ट, 13 हजार करोड़ की संदेहात्मक लेनदेन आया सामने

नई दिल्ली। इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज में करीब 13 हजार करोड़ रुपए के लेनदेन पर संदेह जताया गया है। ग्रांट थॉर्टन की अंतरिम रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी में वित्तीय अनियतमित्ता, हिंतों के टकराव, और बैंकिंग नियमों के उल्लंघन का मामला सामने आया है। 166 पन्ने की इस रिपोर्ट में करीब 10 ऐसी विसंगतियों की बात की गई है जिसकी वजह से कंपनी में वित्तीय अनियमितता देखने को मिली है। इसमें से 6 हजार करोड़ रुपए से अधिक IL&FS फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड से संबंधित है, जिसमें कहा गया है कि बैंकिंग गवर्नेंस नियमों का उल्लंघन किया गया है। बोर्ड की मंजूरी के बाद IFIN को 2,270 करोड़ रुपए दिया गया है। वहीं 1,150 करोड़ रुपए IL&FS ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को भी दिया गया था।


इस रिपोर्ट में कहा गया कि थर्ड पार्टी को दी गई फंडिंग का इस्तेमाल कंपनी की अन्य कंपनियों के लिए किया गया था। इसमें कई ऐसे मामले सामने आए हैं जब एक ही दिन कई थर्ड पार्टियों को फंडिंग दी गई है। IFIN की मौजूदा कर्ज को चुकाने के लिए कुल 29 बार फंड दी गई है। वित्त वर्ष 2016 में, SKIL इन्फ्रास्ट्रक्चर गुजरात द्वारका पोस्टवेस्ट लिमिटेड को 253 करोड़ रुपए दिया और उसी दौरान SKIL इन्फ्रास्ट्रक्चर्स ने IFIN को 230 करोड़ रुपए दिए हैं। इसी तरह 2017 और 2019 के दौरान, IFIN ने 365 करोड़ रुपए की राशि फ्लेमिंगो ग्रुप को दी है। इसी दौरान इस कंपनी ने IFIN को 450 करोड़ रुपए दिया है। वित्त वर्ष 2018 में, इंडिया सीमेंट्स चेन्नई सुपरकिंग्स लिमिटेड 65 करोड़ रुपए IFIN से लिया। ठीक इसी दौरान EWS फाइनेंस एंड इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने IFIN को 40 करोड़ रुपए दिया गया।


जुलाई माह में फंडिंग गैप्स के सबसे अधिक मामले

इस ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया, “इससे ये प्रतीत होता है कि एक ही वित्त वर्ष में कंपनी ने एक ही ग्रुप से पैसा लिया या दिया है। देय रकम भी लगभग एक समान है।” इस रिपोर्ट में 8 ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें 541.4 करोड़ रुपए की रकम छोटी अवधि के लिए लोन के रूप में दिया गया है। जुलाई 2018 में सबसे अधिक फंडिंग गैप्स देखा गया है। बताते चलें की इसी दौरान 21 जुलाई 2018 में कंपनी के सीएमडी रवि पार्थसारथी ने इस्तीफा दिया था।


ग्रांट थॉर्नटन ने ऐसे 16 मामलों की पहचान की है, जहां जाहिर तौर पर, वित्तीय संकट में कंपनियों के लिए नकारात्मक प्रसार या सीमित प्रसार पर 1,922 करोड़ रुपए के कर्ज स्वीकृत किए गए थे। इनमें से सात मामलों में, प्रदान किए गए कर्ज या तो लिखे गए हैं या उन कंपनियों के संबंधित पक्ष हैं जिनके लिए कर्ज लिखे गए थे। इन 16 मामलों में से पांच में, बुनियादी ढांचे के वित्त द्वारा नकारात्मक आकलन के बाद भी ऋण को मंजूरी दी गई थी।

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