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HDFC बैंक ने 5 साल में की सबसे ज्यादा कमाई, रिलायंस को भी पछाड़ा

locationनई दिल्लीPublished: Nov 03, 2018 02:37:46 pm

Submitted by:

Manoj Kumar

शीर्ष 100 वेल्‍थ क्रिएशन कंपनियों ने 2013-18 के दौरान 44.9 लाख करोड़ रुपये का धन सृजन किया।

HDFC Bank

HDFC बैंक ने 5 साल में की सबसे ज्यादा कमाई, रिलायंस को भी पछाड़ा

नई दिल्ली। मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज हर साल कारोबार के मामले में नए आयाम बना रही है। कंपनी की आय में सालाना बढ़ोतरी हो रही है। लेकिन धन सृजन के मामले में कंपनी पिछड़ गई है। बीते पांच सालों यानी 2013 से 18 के दौरान देश में धन सृजन के मामले में 100 शीर्ष कंपनियों में निजी क्षेत्र के बैंक एचडीएफसी ने बाजी मारी है। जबकि रिलायंस दूसरे स्थान पर आया है। यह बात मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड की ओर से तैयार किए गए ‘वेल्थ क्रिएशन अध्ययन-2018’ में कही गई है। अध्‍ययन के अनुसार देश में सबसे बड़ी, सबसे तेज और लगातार धन सृजन कंपनियां है, एचडीएफसी बैंक, इंडियाबुल्स वेंचर्स और टाइटन कंपनी को बताया गया है। यह अध्ययन मोतीलाल ओसवाल समूह के संयुक्त प्रबंध निदेशक रामदेव अग्रवाल ने पेश किया है।
बीते पांच सालों में सरकारी कंपनियों का हाल बेहाल

अध्ययन के अनुसार, वित्तीय क्षेत्र 2013 से 2018 के बीच सबसे बड़ा धन सृजन करने वाला क्षेत्र है। इस अवधि में राज्य की स्वामित्व वाली कंपनियां धन सृजन में हाशिए पर आ गई हैं। इन कंपनियों के शेयर 2005 में 51फीसदी से गिरकर 2018 में 9 फीसदी पर आ गए हैं। इस अध्ययन में 2013-18 के दौरान शीर्ष 100 संपत्ति बनाने वाली कंपनियों का विश्लेषण किया गया है। 2013 और 2018 के बीच कंपनियों की बाजार पूंजीकरण में बदलाव, विलय, अधिग्रहण, ताजा पूंजी निवेश, बायबैक इत्यादि जैसे बिंदुओं को देखते हुए तैयार किया गया है। अध्ययन सबसे तेज़, सबसे बड़ा और लगातार धन सृजन करने वाली कंपनियों को पहचाने का काम करता है। इसके अलावा, यह धन निर्माण में महत्वपूर्ण रुझानों का विश्लेषण करता है। साथ ही सफल इक्विटी निवेश पाने वाली कंपनियों और विनिवेश रणनीतियों पर भी फोकस करती है।

2013-18 के बीच 44.9 लाख करोड़ रुपए का धन सृजन
अध्ययन के अनुसार, शीर्ष 100 वेल्‍थ क्रिएशन कंपनियों ने 2013-18 के दौरान 44.9 लाख करोड़ रुपए का धन सृजन किया है। यह बनाया गया धन का उच्चतम स्‍तर है। 2013-18 के दौरान, सेंसेक्स सीएजीआर केवल 12फीसदी था, लेकिन धन निर्माण की गति 23 फीसदी सीएजीआर पर थी। यह इस बात को बल देता है कि धन सृजन सभी प्रकार की बाजार स्थितियों में होता है। इसलिए, निवेशकों को यह जानना जरूरी है कि वह बाजार में निवेश के लिए सही समय का इंतजार करने के बजाय किस शेयर में निवेश करना सही है।

पहली बार टॉप रहा एचडीएफसी बैंक
पिछले 6 अध्ययनों में दूसरे और तीसरे स्‍थान पर रहने के बाद, 2013-18 में एचडीएफसी बैंक अंततः सबसे बड़ी धन निर्माता कंपनी बनकर उभरी है। एचडीएफसी बैंक ने 3.2 लाख करोड़ रुपए का धन सृजन किया है। वहीं, रिलायंस इंडस्ट्रीज दूसरे स्‍थान पर रही है। रिलायंस ने करीब 3 लाख करोड़ रुपए का धन सृजन किया है।

इंडियाबुल्स वेंचर्स सबसे तेज धन निर्माता
इंडियाबुल्स वेंचर्स 2013-18 के बीच सबसे तेजी से धन निर्माता के रूप में उभरी है। कंपनी के शेयरों ने 97 फीसदी सीएजीआर के साथ रिटर्न दिया है। पिछले 7 अध्ययनों में आयशर मोटर्स शीर्ष 10 सबसे तेज धन निर्माता कंपनी में शामिल है। वहीं बजाज फाइनेंस पिछले 5 में शामिल रही है। बजाज फाइनेंस शीर्ष 10 में सबसे बड़े और सबसे तेज धन सृजन करने वाली कंपनी रही है।

टाइटन लगातार धन सृजन वाली सबसे मजबूत कंपनी
पिछले 10 अध्ययनों में टाइटन शीर्ष 100 धन सृजन करने वाली कंपनियों में शामिल रही है। 10 साल की अवधि 2008 से 2018 में 33फीसदी की उच्चतम मूल्य सीएजीआर से बढ़ी है। इस मामले में यह गोदरेज से आगे रही है।

भारत सबसे बड़ा धन निर्माण देश बना
वित्तीय वर्ष 2013-18 के दौरान भारत के सबसे बड़े धन निर्माण क्षेत्र के रूप में उभरा है। इस क्षेत्र में धन निर्माण में वृद्धि निजी बैंकों और एनबीएफसी के नेतृत्व में है। वित्तीय क्षेत्र में सबसे बड़ा धन सृजन करने का असामान्य गौरव प्राप्त हुआ है निजी बैंकों और एनबीएफसी को जिनके लिए उनको धन्यवाद और सबसे बड़ा धन को हानि पहुंचाने वाले रहे हैं सरकारी बैंक।

कमजोर रहा सरकारी कंपनियों का प्रदर्शन
शीर्ष 100 धन सृजन करने वाली कंपनियों में पीएसयू की संख्या केवल 11 है। इन 11 पीएसयू की ओर से निर्मित धन कुल में से केवल 9 फीसदी है। हालांकि, पिछले अध्ययनों में यह 2-4 फीसदी से अधिक है, जो पीएसयू भाग्य में संभावित पुनरुद्धार के शुरुआती संकेत की उम्मीद जगाता है।
पांच साल में इतने रुपए का नुकसान
अध्ययन के अनुसार, 2013-18 के दौरान कुल नुकसान 4.9 लाख करोड़ रुपए है। धन नुकसान का व्यापक विषय बैंकिंग संकट (पीएसयू बैंकों के नेतृत्व में) और चक्रीय मंदी (धातु / खनन क्षेत्र के नेतृत्व में) है।
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