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नकदी संकट से बचने के लिए आईएलएंडएफएस ने बनाया नया प्लान, जमीन बेचकर करेंगे कर्ज का भुगतान

Published: Jul 11, 2019 01:24:33 pm

Submitted by:

Shivani Sharma

आईएलएंडएफएस ग्रुप ने लोन चुकाने के लिए जमीन बेचने का फैसला लिया है।
कंपनी अपनी गुजरात की 2,800 एकड़ जमीन बेचने जा रही है।

ILFS

नकदी संकट से बचने के लिए आईएलएंडएफएस ने बनाया नया प्लान, जमीन बेचकर करेंगे कर्ज का भुगतान

नई दिल्ली। लंबे समय से गंभीर नकदी संकट से जूझ रही आईएलएंडएफएस ग्रुप ( ILFS ) ने अपने कर्ज को चुकाने के लिए अपनी 2,800 एकड़ जमीन बेचने का फैसला लिया है। इस जमीन को बेचकर कंपनी अपने कर्ज को कम करेगी। आईएलएंडएफएस ग्रुपने गुजरात में अपनी तीन अनुषंगी कंपनियों के भूखंड की बिक्री के लिए रूचि पत्र आमंत्रित किए हैं। कंपनी अपनी गुजरात स्थित 2,880 एकड़ जमीन की बिक्री करने जा रही है।


जमीन की बिक्री से कर्ज का भुगतान करेगी कंपनी

आईएलएंडएफएस की तीन अनुषंगी आवास लॉजिस्टिक पार्क, सीलैंड पोर्ट्स और गुजरात इंटिग्रेटेड मैरिटाइम कॉम्पलेक्स की कच्छ जिले के मोटा लाज्या, गोधरा, बयाथ, उंदोथ, रताडिया, नाना लाज्या एवं काथदा गांवों में 2,880 एकड़ भूमि है। संपत्ति से जुड़ी परामर्शदाता कंपनी जोन्स लांग लासेल संभावित बिक्री में समूह की मदद कर रही है।


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कोर्ट में दाखिल की थी चार्जशीट

आईएलएंडएफएस मामले में एसएफआईओ ने 30 मई को मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट में 800 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें कंपनी के ऑडिटर्स बीएसआर ऐंड कंपनी और डेलॉयट हैस्किन्स ऐंड सेल्स (डीएचएस), ऑडिट कमिटी मेंबर्स और इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स के भी नाम हैं। एजेंसी ने उन्हें कंपनी ऐक्ट और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कुछ निश्चित धाराओं के तहत आरोपी बनाया है।


जानिए क्या है मामला

इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएलएंडएफएस) कंपनी समूह पर 91, 000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है, जिसमें 57,000 करोड़ रुपए का अकेले बैंक ऋण है। पैसों की कमी की वजह से यह समूह अपने कर्जों की किस्त चुका पाने में असमर्थ है। इस वजह से न केवल कई बड़े बैंकों पर संकट मंडरा रहा है, बल्कि भविष्य निधि और पेंशन निधि में जमा आम लोगों की मेहनत की कमाई भी दांव पर लग गयी है।


आईएलएंडएफएस क्या है

इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज यानी ‘आईएलएंडएफएस’ सरकारी क्षेत्र की कंपनी है। इसकी कई सहायक कंपनियां हैं और इसे नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी) का दर्जा भी मिला हुआ है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया और हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कंपनी ने साल 1987 में इंफ्रास्ट्रक्चर यानी बुनियादों ढांचे की परियोजनाओं को कर्ज देने के उद्देश्य के साथ आईएलएंडएफएस का निर्माण किया था।

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