ग्रोथ पर निर्भर करेंगी नई नियुक्तियां
एक रिसर्च एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी का मानना है कि, कई दिग्गज कंपनियों द्वारा किए जाने वाली नियुक्तियों में इतनी बड़ी कटौती का प्रमुख कारण इंडस्ट्रियल ग्रोथ की धीमी रफ्तार है। हालांकि इस वित्त वर्ष की दूसरे हिस्से में हालात थोड़ा सुधर सकते हैं, लेकिन इसके लिए हमें ये भी देखना होगा की क्या इससे आईटी सेक्टर में लगभग थम चुके नियुक्तियों की भरपाई हो सकेगा की नहीं। पिछले साल कंपनियों द्वारा किए गए शुद्ध मुनाफे का मुख्य कारण वस्तूओं की कीमतों में आई बढ़ोतरी है। जहां तक नियुक्तियों की बात है तो वो इस बात पर निर्भर करती है कि वो भविष्य में होने वाली ग्रोथ को कैसे देखते हंै, जो कि पिछले वित्त वर्ष में पहले के अपेक्षा खराब ही हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में आने वाली संभावनाओं पर कंपनियों के अधिकारियों का आत्मविश्वास कम है।
वेतन पर नहीं हुआ कोई असर
हालांकि नियुक्तियों में आई कमी का प्रभाव मौजूदा कर्मचारियों के पारिश्रमिक पर लगभग न के बराबर पड़ा है। वित्त वर्ष 2017 में प्रति कर्मचारी पारिश्रमिक में 8.2त्न की बढक़र 12.4 लाख रुपए सालाना हो गया है। पिछले वर्ष यह 11.5 लाख सालाना था। कई एचआर एक्सपट्र्स का मानना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर, एनबीएफसी, बैंक आदि में आने वाले महीनों में नई भर्ती में बढ़ोतरी हो सकती है।
आधी हुईं नई भर्ती
बीएसई में लिस्टेड 500 कंपनियों ने वित्त वर्ष 2016 की तुलना में वित्त वर्ष 2017 में करीब आधी नियुक्तियां की हंै। वित्त वर्ष 2016 में 123,000 नई नियुक्तियों की तुलना में बीते साल शुद्ध रूप से 66,000 लोगों को मिला रोजगार अर्थव्यवस्था मे सुस्ती को देखते हुए कंपनियों ने की कम नियुक्तियां दूसरी छमाही में नियुक्तियों में आ सकती है तेजी।