वाणिज्य विभाग से आयात शुल्क में कटौती का अनुरोध सूरी ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय के अधीन वाणिज्य विभाग ने भारत, कोरिया सीईपीए के तहत विभिन्न नियमों के अन्तर्गत पूंजीगत उपकरणों पर आयात शुल्क में कटौती का अनुरोध किया है। एफटीए और सीईपीए के तहत ऐसी रियायतें देशी पूंजीगत वस्तु उद्योग को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को भी झटका लग रहा है। पूंजीगत वस्तु के संबंध में उन्होंने कहा कि यह उत्पाद वह होते हैं जो अन्य उत्पादों को बनाने में काम आते हैं। इनमें मशीन के उपकरण, औद्योगिक मशीनरी, प्रसंस्करण संयंत्र के उपकरण, निर्माण और खनन उपकरण, बिजली के उपकरण, कपड़ा मशीनरी, प्रिंटिंग और पैकेजिंग मशीनरी शामिल है। संस्था ने इस्पात मंत्रालय के सामने रखे प्रस्ताव में कहा है कि देश में इस्पात निर्माण क्षमता में 17 करोड़ टन का इजाफा करने के लिए होने वाले समूचे नए निवेश और अयस्क से इस्पात बनाने की प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले स्टील के सभी उपकरण, सामग्री के रखरखाव वाले उपकरण, प्लांट शेड आदि का देश में ही निर्माण अनिवार्य किया जाना चाहिए। इससे स्थानीय पूंजीगत वस्तु क्षेत्र की मांग में इजाफा और खरीद में घरेलू इस्पात को प्राथमिकता मिलेगी।
देश में नहीं बनने वाले उत्पादों की पहचान करने की अपील संस्था ने इस्पात मंत्रालय से पूंजीगत वस्तु उद्योग के साथ मिलकर उन उत्पादों की पहचान करने का अनुरोध भी किया है जो फिलहाल देश में नहीं बन रहे हैं। नए संयंत्रों में होने वाले हमारे निवेश से उन्हीं को तैयार किया जाए, जिससे देश को 2030 तक इस मामले में आत्मनिर्भर बना लिया जाये। इसके लिए विश्व भर के इस्पात के सर्वश्रेष्ठ दिग्गजों के साथ अनुसंधान और विकास साझेदारी भी जल्द से जल्द किए जाने की जरुरत है। अध्यक्ष ने कहा जिस तरह इस्पात मंत्रालय ने वाणिज्य मंत्रालय के साथ मिलकर क्यूसी आर्डर, सेफगार्ड शुल्क जैसे ऐतिहासिक कदम उठाकर और मेक इन इंडिया अभियान के अनुरुप बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में देशी इस्पात के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर घरेलू उद्योग को बचाया। उसी तरह पूंजीगत वस्तु क्षेत्र को बचाने के लिए भारी उद्योग विभाग और वाणिज्य मंत्रालय को आवश्यक उपाय करने होंगे।