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दुनिया के सबसे महंगे CEO में से एक थे वाई सी देवेश्वर, इस तरह ITC को बनाया 3 लाख करोड़ की कंपनी

Published: May 11, 2019 02:21:45 pm

Submitted by:

Shivani Sharma

आईटीसी के चेयरमैन और सीईओ रहे वाई सी देवेश्वर का आज सुबह निधन हो गया है
वाई सी देवेश्वर ने 1996 में आईटीसी के सीईओ और चेयरमैन का पदभार संभाला था
साल 1996 से वह इस कंपनी को अपनी सेवाएं दे रहे थे

ITC

दुनिया के सबसे महंगे CEO में से एक थे वाई सी देवेश्वर, इस तरह ITC को बनाया 3 लाख करोड़ की कंपनी

नई दिल्ली। आईटीसी के चेयरमैन और सीईओ रहे वाई सी देवेश्वर का आज सुबह निधन हो गया है। वाई सी देवेश्वर ने 1996 में आईटीसी के सीईओ और चेयरमैन का पदभार संभाला था। साल 1996 से वह इस कंपनी को अपनी सेवाएं दे रहे थे और वह सबसे लंबे समय तक सीईओ रहने वाले व्यक्ति हैं। ITC कंपनी ने 24 अगस्त 1910 में तंबाकू बनाने वाली कंपनी के रुप में अपने सफर की शुरुआत की थी, जिसके बाद आज इस कंपनी का हर क्षेत्र में कब्जा है। आज हम आपको ITC के सीईओ वाई सी देवेश्वर की सैलरी के बारे में बताते हैं-


आईटीसी के चेयरमैन एवं सीईओ योगेश चंद्र देवेश्‍वर

योगेश चंद्र देवेश्‍वर ऐसे सीईओ हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा लंबे समय तक अपनी सेवाएं दी हैं। आपको बता दें कि वित्‍त वर्ष 2016-17 के लिए उन्‍होंने 21.16 करोड़ रुपए बतौर सैलरी लिए थे और यह भारत के सबसे महंगे CEO में से एक हैं। कुछ समय पहले जारी की गई सबसे महंगे सीईओ की लिस्ट में वाई सी देवेश्वर का भी नाम शामिल है। इस लिस्ट के हिसाब से वाई सी देवेश्वर देश के पांचवे सबसे महंगे सीईओ हैं और इन्होंने इसमें मुकेश अंबानी को भी पीछे छोड़ दिया था।


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अंबानी को भी छोड़ा पीछे

आपको बता दें कि वित्‍त वर्ष 2016-17 के लिए उन्‍होंने 21.16 करोड़ रुपए बतौर सैलरी ली थी। वहीं, एशिया के सबसे अमरी व्यक्ति मुकेश अंबानी ने वित्‍त वर्ष 2016-17 में बतौर वेतन पैकेज 15 करोड़ रुपए लिए थे। कंपनी के मेडियन के हिसाब से योगेश चंद्र देवेश्‍वर की सैलरी 439 टाइम्स है। वहीं मुकेश अंबानी का 205 टाइम्स है।


बुरे समय में थामा कंपनी का साथ

सीईओ योगेश चंद्र देवेश्‍वर उस समय कंपनी में शामिल हुए थे जब कंपनी के हालात काफी खराब थे। कंपनी को आगे ले जाने में उन्होंने काफी योगदान दिया है। आज के समय में ITC कई क्षेत्रों में अपना विस्तार कर चुकी है। अपने चार दशकों से अधिक कार्यकाल में उन्होंने आईटीसी के उत्पादों का विस्तार कई नए क्षेत्रों में किया। जब यह कंपनी में शामिल हुए तो उस समय कंपनी डाइवर्सिफिकेशन लाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन कई बार इस प्रयोग में फेल होने के बाद कंपनी ने सफतला हासिल की।

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