बता दें, इन्फोसिस के पहले नॉन-फाउंडर सीईओ विशाल सिक्का ने शुक्रवार, 18 अगस्त को पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था। सिक्का ने फाउंडर्स के साथ मतभेद को इसकी मुख्य वजह बताया था। बोर्ड ने इसके बाद एक बयान जारी किया था, जिसमें सिक्का के इस्तीफे के लिए मूर्ति के लगातार हमलों को जिम्मेदार ठहराया था। सिक्का के इस्तीफे के बाद इन्फोसिस चेयरमैन आर. शेषासयी और दो अन्य बोर्ड मेम्बर ने भी इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद नंदन नीलेकणी की वापसी हुई।
बोर्ड का प्रयोग फेल हो गया
बालाकृष्णन ने बताया कि 2014 में प्रोफेशल तरीके से कंपनी चला रहे बोर्ड ने एक प्रयोग किया, जिसमें सीईओ ने फाउंडर्स की जगह ली लेकिन बोर्ड ने अच्छे तरह के काम नहीं किया, इसलिए यह प्रयोग फेल हो गया। इसलिए अब कोई भी प्रयोग दोबारा फेल नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नीलेकणी को एक अच्छा चेयरमैन खोजने पर फोकस करना चाहिए जिससे कि जब भविष्य में पद छोड़े तो यह सुनिश्चित हो कि बोर्ड सुरक्षित हाथों में है। बालाकृष्णन ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि उन्हें 2-3 साल वहां रहना चाहिए क्योंकि उन्हें कई चीजें करनी है। बोर्ड को फिर से तैयार करना है, एक सीईओ बनाना है उसके साथ कुछ समय रहना है और एक चेयरमैन पोस्ट के लिए एक सक्सेशन प्लान तैयार करना है। पहले बोर्ड कमजोर था वह सही तरीके से कम्युनिकेशन में सक्षम नहीं था। बोर्ड ने बहुत निराश किया।