scriptअार्इसीअार्इसीआर्इ मामले जांच के लिए एसएफआर्इआे को नहीं मिला है कोर्इ संदर्भ | No reference to SFIO found for the investigation of ICICI case | Patrika News

अार्इसीअार्इसीआर्इ मामले जांच के लिए एसएफआर्इआे को नहीं मिला है कोर्इ संदर्भ

locationनई दिल्लीPublished: Apr 05, 2018 09:03:33 am

Submitted by:

Ashutosh Verma

इंजेती श्रीनिवास ने बुधवार को कहा कि आईसीआईसीआई बैंक और वीडियोकॉन समूह के मामले में एसएफआईओ की ओर से मंत्रालय को कोई संदर्भ नहीं मिला है।

Injeti Srinivas

नर्इ दिल्ली। केंद्रीय कारपोरेट मामलों के मंत्रालय में सचिव इंजेती श्रीनिवास ने बुधवार को कहा कि आईसीआईसीआई बैंक और वीडियोकॉन समूह के मामले में गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) की ओर से मंत्रालय को कोई संदर्भ नहीं मिला है। उद्योग संगठन सीआईआई की ओर से कर्ज शोधन समाधान पर करवाए गए एक सम्मेलन के मौके पर श्रीनिवास ने कहा कि यह एसएफआईओ के अधिकार के तहत आता है, और उसे मसले का उल्लेख करना चाहिए।


जांच के सिलसिले में दीपक कोचर को भेजा है नोटिस

उन्होंने कहा, “अगर एसएफआईओ मसले का संदर्भ मंत्रालय को भेजना जरूरी समझता है तो यह उसके अधिकार क्षेत्र में आता है।” उन्होंने बताया कि मंत्रालय को ऐसा कोई संदर्भ नहीं मिला है। अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि आयकर विभाग ने आईसीआईसीआई बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को वीडियोकॉन बैंक कर्ज मामले में चल रही कर चोरी की जांच के सिलसिले में नोटिस भेजा है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की प्रारंभिक जांच में पिछले सप्ताह उनका नाम आया है और एजेंसी ने 2012 में बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपये के कर्ज दिए जाने के मामले में किसी गड़बड़ी की जांच के सिलसिले में आईसीआईसीआई बैंक के अधिकारियों से पूछताछ भी की।


होने वाले संशोधन आने वाले समय से लागू होंगे

श्रीनिवास ने आज कहा कि कर्ज शोधन कानून में जब भी संशोधन होते हैं, वह आने वाले समय से लागू होंगे ।एक उच्च स्तरीय समिति ने इस कानून में कुछ बदलाव के सुझाव दिये है। हालांकि उन्होंने संकेत दिया कि संशोधन के अमल में आने के बाद कर्ज शोधन समाधान प्रक्रिया के तहत जमा की गयी संशोधित बोली में नई जरूरतों का अनुपालन करना होगा।


हो सकते हैं आर्इबीसी में कर्इ बदलाव

श्रीनिवास की अध्यक्षता में 14 सदस्यीय समिति ने कर्ज शोधन दिवाला संहिता (आईबीसी) में कई बदलाव के संकेत दिये हैं। उन्होंने आगे कहा कि सामान्यत: जो भी परिवर्तन होता है वो आने वाले समय के लिये होते हैं। अगर प्रारूप में बदलाव होता है, वह समान बोली नहीं है। उन्होंने संशोधित बोली पर संशोधित नियमों के लागू होने के संदर्भ में पूछे गये सवाल के जवाब में यह बात कही।

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