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सीबीआर्इ घूसकांडः प्रशांत भूषण ने लगाया आरोप, कहा रफाल की जांच न हो इसलिए अलोक को हटाया गया

Published: Oct 24, 2018 01:08:40 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

आलोक वर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती देने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि ‘सीबीआई डायरेक्टर को गलत तरीके से हटाया गया है।

Prashant Bhushan

सीबीआर्इ घूसकांडः प्रशांत भूषण ने लगाया आरोप, कहा रफाल की जांच न हो इसलिए अलोक को हटाया गया

नर्इ दिल्ली। देश के वरिष्ठ वकीलों में से एक प्रशांत भूषण ने सीबीआर्इ निदेशक आलोक वर्मा को पद हटाए जाने आैर उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने पर एक एेसा बयान दिया है कि जिससे देश में एक नया बवाल खड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आलोक वर्मा को इसिलए पद हटाया कि शायद वो रफाल डील की जांच करना चाहते थे। आपको बता दें कि अरुण शौरी, प्रशांत भूषण आैर यशवंत सिन्हा ने शीर्ष जांच एजेंसी में रफाल डील के खिलाफ जांच करने की एप्लीकेशन डाली थी। इस बयान के बाद इस पूरे मामले का रुख एक नए स्तर पर जा सकता है। वहीं विपक्ष भी आलोक वर्मा को हटाने के मामले में हमलावर हो गया है।

गलत तरीके से हटाया गया
आलोक वर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती देने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि ‘सीबीआई डायरेक्टर को गलत तरीके से हटाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने तय किया था कि सीबीआई डायरेक्टर का टर्म दो साल का फिक्स होगा और सिर्फ सेलेक्शन कमेटी ही सीबीआई डायरेक्टर को हटा सकता है। वह शुक्रवार को एक याचिका दायर करेंगे।

ताकि सीबीआर्इ रफाल की जांच ना कर सके
प्रशांत भूषण ने इस बीस इस बात को भी कहा कि सरकार रफाल डील की जांच की आंच से बचने का प्रयास कर रही है। इसलिए शायद सीबीआई डायरेक्टर को हटाया गया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी के साथ मिलकर सीबीआई डायरेक्टर से रफाल डील की जांच की मांग की थी। सीबीआई डायरेक्टर ने रफाल डील से जुड़ी कुछ फाइलें सरकार से मांगी थी। उन्होंने यह भी कहा कि नागेश्वर राव के खिलाफ भी सीरियस शिकायतें हैं। सीबीआई डायरेक्टर ने कुछ महीने पहले उनके खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की थी।

आखिर क्या है रफाल डील?
आपको बता दें कि मोदी ने सरकार ने 36 विमानों की रफाल विमान डील हुर्इ है। जिसका ठेका अनिल अंबानी की कंपनी को दिया गया। करीब 30 हजार करोड़ रुपए की इस डील को पहले यूपीए सरकार ने किया था। जिसमें यूपीए ने एचएएल को भी साथ में लिया था, लेकिन सरकार के बदल जाने के बाद डील भी बदल गर्इ। जिसके बाद विपक्ष आैर बाकी लोगों ने सरकार के खिलाफ घोटाले का आरोन लगाया था।

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