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सूत्रों ने बताया कि डीआईपीएएम हाल ही में गेल और आईएलएंडएफएस की सहायक कंपनियों के बीच हुए 4,800 रुपये के सौदे से उत्साहित है। इस सौदे में आईएलएंडएफएस की सहायक कंपनियों की 874 मेगावाट की चालू पवन परियोजना का अधिग्रहण किया गया। अधिकारियों का मानना है कि अगर ऐसी ही प्रक्रिया कुछ अन्य सीपीएसई के लिए अपनाई जाती है तो बिक्री की प्रक्रिया न सिर्फ सुचारु हो जाएगी, बल्कि सरकार को अपने शेयरों का बेहतर मूल्य भी मिल सकता है।
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सरकार की रणनीतिक बिक्री की पहल आगे नहीं बढ़ पाई है क्योंकि यह योजना निवेशकों को आकर्षित करने में विफल रही। हालिया मामला पवन हंस की बिक्री का है जिसमें सरकार ने पिछले महीने निवेशकों को अपनी पूरी 51 फीसदी की हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी। पिछले साल, एयर इंडिया के विनिवेश की कोशिश भी बोलीदाताओं के अभाव में विफल रही। इसी प्रकार, पहले भी स्कूटर्स इंडिया जैसी अन्य घाटे वाली कंपनियों की बिक्री का प्रयास विफल रहा। स्कूटर्स इंडिया का लोकप्रिय ब्रांड विक्रम तिपहिया वाहन है।
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नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर एक पूर्व कैबिनेट सचिव ने कहा, “कई बीमारू और घाटे वाली सीपीएसई संचालन बंद होने और अत्यधिक मानवशक्ति के कारण संकट में हैं। कंपनी को रणनीतिक बिक्री की प्रक्रिया में शामिल करने से पहले अगर किसी तरह इस समस्या का समाधान होता है तो मूल्यांकन ऊंचा हो जाएगा।” डीआईपीएएम ने 35 पीएसयू में रणनीतिक बिक्री की योजना बनाई है जिनमें एयर इंडिया, एयर इंडिया की सहायक कंपनी एआईएटीएसएल, ड्रेजिंग कारपोरेशन, बीईएमएल, स्कूटर्स इंडिया, भारत पम्प्स कंप्रेसर्स और स्टील की प्रमुख कंपनी सेल की भद्रावती, सलेम और दुर्गापुर स्थित इकाइयां शामिल हैं।
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उल्लेखनीय है कि इनमें कई कंपनियों के पास व्यापक भूमि बैंक है जिसका उपयोग इन्हें खरीदने वाली कंपनियां अपने कार्य विस्तार के लिए कर सकती हैं। इंडियन ड्रग एंड फार्मास्यूटिकल्स लि. ( आईडीपीएल ) के पास ऋषिकेश में 834 एकड़ की भूमि है। इसी तरह स्कूटर्स इंडिया के पास लखनऊ के पास 150 एकड़ भूमि है।
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