नई दिल्लीPublished: Sep 22, 2018 08:47:30 am
Saurabh Sharma
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने शुक्रवार को अपने आॅयल ब्लाॅक केजी-डी 26 से उत्पादन में गिरावट के बाद बंद करने का फैसला किया है।
अनिल के बाद अब मुकेश अंबानी भी बंद करेंगे यह कारोबार, इसलिए लिया इतना बड़ा फैसला
नर्इ दिल्ली। कुछ दिन पहले धीरुभाई अंबानी के छोटे बेटे अनिल अंबानी ने 40 हजार करोड़ के घाटे के बाद रिलायंस कम्यूनिकेशन को बंद करने की घोषणा की थी। अब मुकेश अंबानी भी छोटे भार्इ की राह पर चल पड़े हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने शुक्रवार को अपने आॅयल ब्लाॅक केजी-डी 26 को बंद करने का फैसला किया है। यह फैसला उत्पादन में गिरावट के बाद लिया गया है। कंपनी के अनुसार, इस आॅयल ब्लाॅक से उत्पादन पूरी तरह से बंद हो गया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अभी तक गोदावरी बेसिन में 19 आॅयल आैर गैस ब्लाॅक की खोज की थी। इनमें से डी 26 या एमए-ब्लॉक एकमात्र तेल का था, जिसकी शुरूआत 2008 में सबसे पहले हुर्इ थी। धीरूभाई -1 और 3 (डी 1 और डी 3) अप्रैल 2009 से चल रहे हैं।
कब हुआ बंद
कंपनी की ओर से नियामक फाइलिंग को दी गई जानकारी में कहा गया है कि एमए (डी 26) तेल ब्लॉक का संचालन रिलायंस की ओर से किया जा रहा था। इसमें रिलायंस (60 फीसदी), बीपी 30 फीसदी आैर नीको 10 फीसदी का हिस्सेदार था। कंपनी के अनुसार इस तेल ब्लॉक से 17 सितंबर 2018 से उत्पादन बंद कर दिया गया है। अब इस पूरे इलाके को सुरक्षित तरीके से बंद करने की प्रक्रिया चल रही है।
इसलिए करना पड़ा बंद
कंपनी ने बताया कि इस तेल ब्लॉक से उत्पादन में प्राकृतिक रूप से तेजी से गिरावट आई है। इसके अलावा इस ब्लॉक में पानी और रेत की मात्रा में बढ़ोतरी के कारण तेल उत्पादन में लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। कंपनी के अनुसार, इस ब्लॉक से कुल 0.53 ट्रिलियन क्यूबिक फीट गैस और 31.4 मिलियन बैरल तेल और कंडेनसेट का उत्पादन किया गया है। अब यहा पर कुछ नहीं बचा है। कंपनी के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इस ब्लॉक से रिलायंस को 0.1 फीसदी से भी कम का रेवेन्यू मिला है।
इतना हुआ उत्पादन
नियामक को दी गई जानकारी में कंपनी ने कहा है कि डी 26 तेल ब्लॉक की खोज 2006 में की गई थी। सितंबर 2008 में यहां से उत्पादन शुरू किया गया था। हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) के अपस्ट्रीम नियामक से उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, इस क्षेत्र में पहले महीने में 39,976 टन कच्चे तेल का उत्पादन हुआ। जो मई 2010 में 1,08,418 टन तक पहुंच गया था। उसके बाद उत्पादन में कमी आई। मौजूदा वित्तीय वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 0.14 मिलियन बैरल (1960 टन) का उत्पादन किया था। एमए ने यहा से अप्रैल 2009 से गैस का उत्पादन शुरू किया। ठीक उसी वक्त डी-1 और डी-6 की भी शुरूआत हुर्इ थी।
15 साल से पहले बंद हो गर्इ परियोजना
आरआईएल ने डी-1 और डी-3 के लिए फील्ड डेवलपमेंट प्लान में 8.836 बिलियन अमरीकी डाॅलर का पूंजी व्यय प्रस्तावित किया था। धीरूभाई -26 या एमए ऑयलफील्ड के विकास के लिए 2006 में 2.234 बिलियन अमरीकी डाॅलर के निवेश करने का प्रस्ताव रखा गया था, जिसे 2012 में 1.96 बिलियन अमरीकी डाॅलर तक घटा दिया गया था। यह फील्ड कम से कम 15 साल तक चलने वाली निवेश परियोजनाआें में से एक थी। लेकिन यह महज एक दशक में ही बंद हो गर्इ।