पिता के देहांत के बाद दोनों भार्इयों में हुर्इ थी फूट
इसी दौरान मुकेश अंबानी से दो साल छोटे उनके भार्इ अनिल अंबानी के लिए पिछला कुछ साल परेशानियाें भरा रहा है। इंडेक्स के मुताबिक इससे अनिल अंबानी की संपत्ति में 5.1 अरब डाॅलर की कमी आर्इ है। दोनों भाइयों की संपत्ति में अंतर करीब 16 साल पहले शुरू हुआ था जब दोनों के पिता धीरूभार्इ अंबानी का देहांत हुआ था। पिता के देहांत के बाद दोनो भाइयों में फूट की खबरें भी आर्इ थी, हालांकि साल 2005 में माता कोकिलाबेन ने दाेनों भाइयों के बीच सुलह करार्इ थीं। इसके बाद मुकेश अंबानी को हिस्से में पेट्रोकेमिकल कारोबार मिला तो वहीं अनिल अंबानी को पावर जेनरेशन आैर वित्तीय सेवाआें का कारोबार सौंपा गया।
जियो के बाद मुकेश अंबानी की संपत्ति भारी बढ़ोतरी
उस दौरान, वायरलेस डिवीजन ने अनिल अंबानी को कर्इ बेहतर मौके दिए। साल 2005 में कच्चे तेल के दाम 60 डाॅलर प्रति बैरल के रिकाॅर्ड स्तर पर थे। भाइयों के बीच एक गैर-प्रतिस्पर्धात्क खंड ने मुकेश अंबानी को इससे बाहर रखा था लेकिन साल 2010 में एक समझौता के तहत इसे खत्म कर दिया गया। इसके बाद अगले सात सालों में मुकेश अंबानी ने 2.5 खरब रुपए से भी अधिक रकम लगाकर अपने रिलायंस जियो इन्फोकाॅम लिमिटेड को खड़ा किया। मुकेश अंबानी के इस कदम को कर्इ जानकार बहुत साहसी कदम बताते हुए कहा है यह एक सबसे बड़ा जुआ था। एक लेखक जेम्स क्रेबट्री ने भारत में संपत्ति असामनता को लेकर ‘द बिलियनेयर राज’ नाम से एक किताब में लिखा है, जियो से मुकेश अंबानी को टेलिकाॅम सेक्टर में ही नहीं बल्कि उनके व्यक्तिगत विरासत में भी बढ़ोतरी हुर्इ है।
अनिल अंबानी ने भी जमकर किया निवेश लेकिन नहीं हुआ फायदा
लेकिन साल 2016 तक मुकेश अंबानी के इस कदम का व्याापक असर देखने को मिला। इसी साल जुलार्इ माह तक मुकेश अंबानी की जियो से 227 मिलियन ग्राहक जुड़ चुके हैं। जियो के आने के बाद टेलिकाॅम सेक्टर में प्रतिद्वंदियो की हालत खराब है। कर्इ जानकार मानते हैं कि मुकेश अंबानी ये बात अच्छे से समझ गए थे कि डेटा ही अगला सोना है आैर इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने जमकर निवेश किया था। मौजूदा समय में रिलायंस इंडस्ट्रीज की कुल मुनाफे का 90 फीसदी हिस्सा पेट्रोकेमिकल व्यवसाय से आता है। जबकि दूसरी तरफ अनिल अंपने वित्तीय हालत को ठीक करने के लिए अपनी संपत्तियों का एक बड़ा हिस्सा बेचने में लगे हुए हैं। अपने बड़े भार्इ की तरह अनिल अंबानी ने भी जमकर निवेश किया लेकिन उनके पास मकेश अंबानी की तरह नकदी के लिए तेल रिफाइनरी जैस कोर्इ व्यवसाय नहीं है। उनके कर्इ कंपनियों पर कर्ज का बोझ बढ़ता गया।
शेयर बाजार में भी अनिल अंबानी की कंपनियों को बुरा प्रदर्शन
अनिल अंबानी के बिजनेस की बात करें तो उनके रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड के शेयरों में इस साल भारी गिरावट देखने को मिली। इनमें करीब 75 फीसदी की कमी देखने को मिली है। अनिल अंबनी का इन्फ्रास्ट्रक्चर बिजनेस ने ही मुंबर्इ में पहला मेट्रो लाइन बनाया था। यह कंपनी भी अगस्त माह में बाॅन्ड पेमेंट मिस कर चुकी है। साल 2008 में रिकाॅर्ड आेपनिंग के बाद उनकी एक आैर कंपनी इलेक्ट्रीसिटी जेनरेटर रिलायंस पावर लिमिटेड के शेयरों में भी गिरावट दर्ज की गर्इ है। रिलायंस कैपिटल के शेयरों का भी हाल कुछ एेसा ही रहा। हालांकि अनिल अंबानी अब धीरे-धीरे कर्ज की इस बोझ से वापस निकल रहे हैं। इसी माह ही उन्होंने कहा अपने निवेशकों को कहा था कि नवी मुंबर्इ में एक प्राॅपर्टी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं जो जिससे 250 अरब रुपए की कमार्इ होगी।
अब अगले बड़े धमाके की तैयारी में हैं मुकेश अंबानी
मुकेश अंबानी की बात करें ताे उन्होंने जुलार्इ माह में ही र्इ-काॅमर्स सेक्टर में सेक्टर में भी कदम रखने की घोषणा कर दी है। अपने इस कारोबार से मुकेश अंबानी अमेजन आैर वाॅलमार्ट को टक्कर देने की तैयारी में है। इस खबर के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में जोरदार तेजी देखने को मिली। हालांकि बीते एक माह में रुपए में कमजोरी आैर वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों मे तेजी से रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में 11 फीसदी की गिरावट दर्ज की गर्इ।