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चाइल्ड प्राइवेसी को लेकर अमेरिका ने टिक -टोक पर लगाया 40.39 करोड़ का जुर्माना

locationनई दिल्लीPublished: Mar 02, 2019 01:03:19 pm

Submitted by:

manish ranjan

– अमेरिका ने कहा, बच्चों से जुड़ी जरुरी सुचनाएं जुटाता था टिक टोक
– बच्चों के लिए कंपनी ने एप में जोड़ी नई सुरक्षा फीचर
– टिक टोक ने स्टेटमेंट में कहा, इस मुकाम पर पहुंचने में हमें खुशी है

Tik Tok

चाइल्ड प्राइवेसी को लेकर अमेरिका ने टिक -टोक पर लगाया 40.39 करोड़ का जुर्माना

नई दिल्ली। अमेरिका के फेडरल ट्रेड कमीशन (FTC) ने बुधवार को चीन की सबसे पॉपुलर वीडियो शेयरिंग ऐप टिक-टोक पर 5.7 मिलियन डॉलर (40.39 करोड़ रुपए) का जुर्माना लगाया है। टिक-टोक पर 13 साल से कम उम्र के बच्चों की गैर कानूनी तरीके से नाम, ई-मेल एड्रेस और पता जैसी जरूरी जानकारी हासिल करने का आरोप है।
अमेरिका में टिक-टोक को ‘चाइल्ड प्राइवेसी’ जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब टिक-टोक ने आश्वासन दिया है कि वो वाश्विक स्तर पर अपने ग्राहकों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा। एफटीसी के मुताबिक, अभिभावकों के निवेदन के बावजूद टिक-टोक बच्चों की जानकारी साझा करने में सफल नहीं रही। अमेरिका द्वारा लगाया गया ये जुर्माना म्यूजिकली को रिलेट करता है, जो 2017 में वीडियो शेयरिंग बाइटडांस ऐप के रूप में लॉन्च हुआ था और पिछले साल अगस्त में टिक-टोक के साथ इसकी साझेदारी हुई थी।
हाल ही में टिक-टोक ने कहा कि, ‘जब एफटीसी अमरीका में म्यूजिकली की जांच कर रहा था तब हमने उसका पूरा साथ दिया है और एक निष्कर्ष पर पहुंच कर हम खुश हैं।’ एफटीसी ने ये भी कहा कि टिक-टोक अपनी ऐप से 13 साल से कम उम्र वाले बच्चों की वीडियो हटा देगा। हालांकि टिक-टोक का कहना है कि सुरक्षा और बच्चों को ध्यान में रखते हुए उसने अमेरिका और यूके में पहले ही लिमिटेड और एज अप्रोप्रिएट ऐप की शुरुआत कर दी है। टिक-टोक ने ‘यू आर इन कंट्रोल’ नाम से वीडियो ट्यूटोरियल की एक सीरीज की शुरुआत की है, जो सुरक्षा की सेटिंग्स पर ज्यादा ध्यान देता है। सेटिंग्स में कमेंट्स को कैसे नियंत्रित करना है, इसकी सुविधा ग्राहकों को मिलेगी।
भारत में इस एप में आपको साइनअप करते समय एज गेटिग चूज करने का ऑप्शन भी मिलेगा। कंपनी का कहना है कि उसने 12 से ज्यादा एप में स्टोर रेटिंग में ऐसे फीचर को इनेबल किया है जिसमें बच्चो के फोन की सुरक्षा अभिभावक अपनी मर्जी से तय कर सकेंगे। एक ई मेल का जवाब देते हुए कंपनी ने कहा कि हमने यंग ऑडिएंस के लिए नोटिफिकेशन बैनर का भी इस्तेमाल किया है जो अनुपयुक्त वीडियो को पहले ही बता देगा। टिक टोक ने कहा कि कंपनी ने डिजिटल वेलबिंग फंक्शन का भी इस्तेमाल किया है जिससे यूजर्स पेरेंटल गाइडलाइन को सही तरीके से इस्तेमाल कर सकेंगे।
टिक टोक पर भारत में झड़प

एप में 15 सेकेंड के क्लिप में सबकुछ मौजूद है, जिसमें पॉप्युलर गाने, फिल्मों के डॉयलाग और भी कई तरह के फीचर है जो दूसरे सोशल एप मुहैया कराते हैं। इस एप के कंटेट को लाइक, शेयर, कमेंंट करने का भी ऑप्शन है। टिक टोक को भारत में 2017 में लांच किया गया था। सेंसर टावर एनालिटिक्स के मुताबिक कंपनी के इस एप को केवल भारत में अबतक 240 मिलियन डाउनलोड़ किया गया है। कंपनी का दावा है कि ये एप बेहद ही तेजी से पॉप्युलर हो रहा है खासकर युवा वर्ग में।
आपको बता दें कि इस एप को लेकर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के इकोनॉमिक विंग स्वदेशी जागरण मंच सवाल उठा चुकी है। इनका कहना था कि टिक टोक एप अपने प्लेटफॉर्म पर देश विरोधी कंटेट उपलब्ध करा रही है। साथ ही मंच ने ये भी सवाल उठाए है कि इस एप पर बच्चों की पोर्नोग्राफी से कंटेट मुहैया कराए जा रहे हैं जो देशहित के लिए घातक है। हालांकि टिक टोक ने इन आरोपों को आधारहीन बताया है। इससे पहले टिक टोक को बैन करने लिए तमिलनाडु सरकार ने संसद में भी मुद्दा उठाया था। तमिलनाडु सरकार ने कहा था कि यह एप ऐसे कंटेट परोस रहा है तो शेयर करने लायक नही है।
गौरतलब है कि भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके तहक ऑनलाइन क्षेत्र में बच्चों की प्राइवेसी को सुरक्षित किया जा सके। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कंपनियां इसके लिए कोई स्पेशल गाइडलाइन खुद क्यों नहीं बनाती जिससे बच्चों को सुरक्षित किया जा सके। लॉ कंपनी इंडस लॉ पार्टनर के सुनीत कटारकी ने एक ई मेल के जवाब में बताया कि ऐसे हालात में डाटा प्राइवेसी को एक कॉमन प्रिसिंपल तय किया जाना चाहिए जो पारदर्शी हो।

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