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जब बच्चों ने संभाला नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का काम, जानिए क्या हुआ

locationनई दिल्लीPublished: Nov 15, 2017 01:45:42 pm

Submitted by:

manish ranjan

बाल दिवस के मौके पर दी गई सामान्य पृष्ठभूमि वाले बच्चों को अहम जिम्मेदारी। युनिसेफ और एनएसई के सहयोग से गरीब और उपेक्षित बच्चों को मिला मौका।

Childrens day

मुंबई। आठ साल की संध्या साहनी बीएमसी के एक स्कूल में पांचवीं क्लास में पढ़ती है। बचपन में ही पिता की मृत्यु हो गई और मां घरों में साफ-सफाई का काम करती है। पहले संध्या भी अपनी मां का हाथ बंटाती थी। लेकिन आज संध्या और उस जैसे 35 बच्चों ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का महत्वपूर्ण काम संभाला। मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस के मौके पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और यूनिसेफ ने साझा प्रयास के तहत सामान्य बच्चों को यह मौका दिया। ऐसे प्रयास के जरिए यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि बच्चों को जिम्मेदारी देने और उनकी काबलियत पर विश्वास करने से हिचकिचाना नहीं चाहिए। उन्हें बचपन से ही महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दी जाएं तो वे आगे चल कर जिम्मेदार नागरिक बन सकते हैं। इसलिए बेहद महत्वपूर्ण आर्थिक काम-काज को संभालने वाले इस संस्थान को बाल दिवस के लिए चुना गया।

 

Childrens day

बच्चों ने पूछा कई रोचक सवाल

यहां बड़े-बड़े आर्थिक लेन-देन संबंधी काम को संभालते हुए बच्चों का हौंसला काफी बुलंंद हो गया था। इस समूह के ही एक बच्चे ने सीधे यूनीसेफ की भारतीय उप-प्रतिनिधि हेनरीएट ऐरेन से पूछ लिया कि आप हमारे लिए क्या कर सकती हैं। हेनरीएट संध्या के सवाल से हैरान थीं। इन बच्चों ने कई प्रतिष्ठित कारोबारियों की मौजूदगी में एक रोचक पैनल डिस्कशन भी किया। बच्चों ने अपने अधिकारों और विकास के मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी। एनएसई की क्लोजिंग बेल बजाने का मौका 17 साल के माली प्रसाद को मिला। प्रसाद राज्य स्तर के मैराथन दौड़ चैंपियन हैं। प्रसाद बच्चों के अधिकारों, भविष्य और शिक्षा के बारे में खुलकर बात करते हैं। बीएमसी के सरकारी स्कूलों का रिजल्ट शत-प्रतिशत है। मुंबई के जी साउथवॉल के एक स्कूल की टीचर नेहा बंबूलकर कहती है कि इन स्कूलों में शिक्षा का स्तर इतना अच्छा है कि उन्होंने भी अपनी छोटी बेटी को स्कूल में एडमिशन करवा लिया।


प्रतिभा निखारने पर देना होगा जोर

महाराष्ट्र के अहमद नगर के सरकारी स्कूल आश्रम शाला के प्रमुख संतोष कहते है कि गांवों के बच्चों की प्रतिभा को निखारने पर ज्यादा जोर दिए जाने की जरूरत है। हेनरीएट ने इस मौके पर कहा कि हिस्सेदारी का अधिकार ही बच्चों का सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है। हमारा मानना है कि बच्चे ना सिर्फ भविष्य हैं बल्कि उस बदलाव का हिस्सा है, जो हम इस दुनिया में लाना चाहते हैं।

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