उन्होंने बताया, “कई मौके पर आईएलएंडएफएस का शीर्ष प्रबंधन अपेक्षाकृत एक अधिक अनुकूल स्थिति बनाने या स्थिति को कमजोर करने के लिए डेलॉयट के साझेदारों पर दबाव डालते थे।” उन्होंने बताया कि इसके अलावा डेलॉयट में आंतरिक रूप से पहले से बनी राय को कमजोर कर देते थे।
उन्होंने बताया कि ऑडिट कंपनी डेलॉयट ने कैसे आईएलएंडएफएस को साल दर साल आधार पर उसके खातों में धोखाधड़ी करके उसे फायदा पहुंचाने में मदद की।
गुमनाम व्हिसलब्लोअर ने बताया कि हस्किंस एंड सेल्स एलएलपी (डेलॉलयट) ने कंपनी को क्लीन चिट दिया, जबकि भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ मसलों को रेड फ्लैग्ड किया और उसे अपना बकाया कर्ज घटाने को कहा।
डेलॉयट के पास आंतरिक रिपोर्टिग की प्रणाली है, लेकिन उन्होंने बताया, “मुझे मौजूदा नेतृत्व पर भरोसा नहीं है और जानबूझकर अपने आंतरिक व्हिसलब्लोइंग मेकेनिज्म का सहारा नहीं ले रहा हूं।”
डेलॉयट ने आईएलएंडएफएस फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (आईएफआईएन) की 10 सालों तक लेखा-परीक्षा की और 2018 तक उसका लेखापरीक्षक बना रहा। यहां तक कि 2017-18 की लेखा परीक्षा रिपोर्ट के नतीजों में भी कोई गड़बड़ी नहीं दिखाई गई।
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