चमत्कार! चूहों पर किए जाने वाले टैस्ट से डाॅक्टरों ने बचार्इ नवजात कैंसर पीड़िता की जान
Published: Nov 07, 2015 10:55:00 am
Submitted by:
इस अनोखे इलाज के तरीके ने भविष्य में कैंसर पीड़तों के इलाज की एक नर्इ राह खाेल दी है।
जाको राखे साइयां मार सके न कोय वाली कहावत के कर्इ उदाहरण आम जीवन में देखने सुनने को मिल जाते हैं।
ब्रिटेन में हाल ही लंदन के ग्रेट आॅर्मंड स्ट्रीट हास्पिटल के डाॅक्टरों ने एक एेसा चमत्कार कर दिखाया कि उसे दुनिया में अपनी तरह का एक उदाहरण माना जा रहा है। इस अनोखे इलाज के तरीके ने भविष्य में कैंसर पीड़तों के इलाज की एक नर्इ राह खाेल दी है।
डेली मेल में दी गर्इ इस खबर के मुताबिक दर्द से तड़पती तीन माह की लैला को उसके माता पिता लंदन के ग्रेट आॅर्मंड स्ट्रीट हास्पिटल लेकर आए तो वह नहीं जानते थे कि उनकी बच्ची के एक लाइलाज बीमारी है। खून की जांच से पता चला कि वह लुखिमिया यानि ब्लड कैंसर से पीड़ित है।
अस्पताल में कीमोथैरेपी आैर बोन मैरो ट्रांस्प्लांट करने के बाद भी लैला का कैंसर पूरी तरह खत्म नहीं हो पाया आैर फिर से लौट आया।
जब सभी इलाज फेल हो गए तो डाॅक्टरों ने लैला के बचने की सभी उम्मीदें छोड़ दी आैर उसके माता पिता से हर स्थिति के लिए तैयार रहने को कह दिया।
लेकिन होनी को शायद कुछ आैर ही मंजूर था। लैला के माता पिता के जोर देने पर डाॅक्टरों ने उस पर एक एेसा इलाज आजमाया जो दुनिया में आज तक किसी मानव पर नहीं आजमाया गया।
यह एक एेसी जीन थैरेपी थी जिसका अभी तक केवल चूहों पर ही प्रयोग किया गया था। इस थैरेपी में स्वस्थ खून की कोशिकाआें को कैंसर मरीज के शरीर में प्रवेश करवाया जाता है जहां वे कैंसर कोशिकाआें को खत्म करने का काम करती है। लैला को केवल 1 ml डोज दी गर्इ लेकिन इसके नतीजे देखकर डाॅक्टर भी हतप्रभ रह गए।
मौत की चाैखट पर खड़ी लैला का जब दुबारा टैस्ट किया गया तो उसके शरीर में कैंसर का नामोनिशान नहीं था। लैला ने जानलेवा ब्लड कैंसर को मात दे दी थी।