मंत्रालय ने अंतरिक्ष और दूर संवेदी प्रणाली की मदद से खनन निगरानी प्रणाली विकसित की है। यह प्रणाली खानों के आसपास के क्षेत्रों में 90 प्रतिशत से भी ज्यादा खनन गतिविधियों का पता ले रही है जिनमें से 15 प्रतिशत मामलों में अवैध खनन की पुष्टि हुई है।
अधिकारी के अनुसार खनिज संपदा से भरपूर राज्यों में अवैध खनन बड़ी समस्या बन गई है। वर्ष 2014-15 में अवैध खनन की 4300 प्राथमिकी के मुकाबले 2015-16 में 6000 प्राथिमकी दर्ज की गई है। इनमें से वर्ष 2014-15 में मुख्य खनिजों के अवैध खनन की 400 प्राथमिकी दर्ज की गई जो 2015-16 में बढकर 700 हो गई जबकि 2014-15 में सामान्य खनिजों के अवैध खनन की 3900 के मुकाबले 2015-16 में 5300 एफआईआर दर्ज की गई।
अवैध खनन के बढते मामलों से साफ है कि इनकी निगरानी प्रणाली कारगर नहीं थी। नयी प्रणाली चालू होने से पहले अवैध खनन की गतिविधियों की निगरानी औचक निरीक्षण, स्थानीय लोगों की शिकायतों और अपुष्ट सूचनाओं पर आधारित होती थी।
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इन गतिविधियों में लिप्त लोग अपने रसूख का इस्तेमाल करके कानून के चंगुल से बच निकलते थे। खान मंत्रालय और भारतीय खान ब्यूरो ने गुजरात के गांधीनगर स्थित भाष्कराचार्य इंस्टिच्यूट आफ स्पेस अप्लीकेशन ऐंड जियोइंफारमेटिस तथा इलेक्ट्रानिक तथा सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ मिलकर यह प्रणाली विकसित की है। इसमें सम्बन्धित अधिकारियों और आम जनता की भागीदारी बढाने के लिए एक पोर्टल और मोबाइल ऐप भी है।