इसके पीछे सरकार का मेक इन इंडिया प्रोग्राम है, जिसे बढ़ावा देने के लिए मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम को नोटिफार्इ कर दिया गया है। इस प्रोग्राम के तहत भारत में अगले तीन सालों में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए कर्इ प्रयास किए जाएंगे। इनमें टैक्स की छूट देने से लेकर आैर भी तरह के इंसेंटिव होंगे।
इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफोर्मेशन टेक्नोलाॅजी मंत्रालय ने इस प्रोग्राम के लिए तीन साल का वक्त तय किया है। इन तीन सालों में मंत्रालय की कोशिश मोबाइल हैंडसेट का पूरा इकोसिस्टम तैयार करना है, जिसके जरिए मोबाइल हैंडसेट आैर उससे जुड़ी सभी एसेसरीज का भारत में निर्माण हो सके।
अभी तक भारत में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग ना के बराबर होती है। इसका सबसे बड़ा कारण मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के लिए इकोसिस्टम का विकसित नहीं हो पाना है। मोबाइल को लेकर भारत में जो भी काम होता है वो ज्यादातर एसेंबलिंग का ही होता है। ज्यादातर कंपनियां मोबाइल आैर उसकी एसेसरीज को इंपोर्ट करती हैं। इसके चलते मोबाइल की कीमत में इजाफा होता है। भारत में जब ये इकोसिस्टम डवलप हो जाएगा तो माना जा रहा है कि मोबाइल की कीमतों में कमी आएगी।
सरकार ने खुद के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं उनमें 2019-20 तक 50 करोड़ मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग का लक्ष्य है। इसके बाद भारत से करीब 12 करोड़ मोबाइल फोन्स का निर्यात भी किया जा सकेगा।