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अंतरिक्ष में भी सुपर पावर बनना चाहता है अमेरिका इसलिए तैयार कर रहा है अपनी ‘स्पेस फोर्स’

-धुर विरोधी रूस और चीन से सामरिक बढ़त के लिए हाल ही ट्रम्प ने दिया स्पेस फोर्स बनाने का आदेश -हाल ही व्हाइट हाउस की ओर से पेंटागन के अधिकारियों को अधिकारिक रूप से ‘स्पेस कमांड’ स्थाापित करने को कहा गया है

Dec 16, 2019 / 10:03 pm

Mohmad Imran

अंतरिक्ष में भी सुपर पावर बनना चाहता है अमेरिका इसलिए तैयार कर रहा है अपनी 'स्पेस फोर्स'

अंतरिक्ष में भी सुपर पावर बनना चाहता है अमेरिका इसलिए तैयार कर रहा है अपनी ‘स्पेस फोर्स’

अमरीकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने बीते सप्ताह फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर में यह घोषणा की कि व्हाइट हाउस ने पेंटागन को एक अंतरिक्ष कमान बनाने का निर्देश दिया है। यह अमरीका की अंतरिक्ष सेना के रूप में स्थापित किया जाने वाले एक विभाग की तरह होगा प्रशासन का एक महत्वपूर्ण कदम है। 1947 में स्थापित अमरीकी वायु सेना के बाद यह सशस्त्र सेवाओं की एक नई शाखा बन जाएगी। हालांकि अभी इस प्रस्ताव को अमरीकी संसद का समर्थन मिलना बाकी है लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप अपनी गिरती साख को मजबूत करने के लिए एक अंतरिक्ष कमांड स्थापित कर सकते हैं जिसका अमरीकी सेना के जनरल रैंक का कोई अधिकारी नेतृत्व कर सकता है। सेना की इस हाईटेक अंतरिक्ष सैन्य टुकड़ी पर 18 हजार से ज्यादा सैन्य और सामान्य कर्मचारी काम करेंगे जो अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन से अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर निगरानी रखेंगे। इस स्पेस फोर्स की सबसे पहले घोषणा बीते साल अगस्त में की गई थी। जिसमें 2019 के आखिर तक इसे स्थापित किए जाने का दावा किया गया था। पेंस ने उस वक्त कहा था कि यह सेना अमरीका को अंतरिक्ष में भी युद्ध लडऩे में मदद करेगी। गौरतलब है कि कई दशकों से पेंटागन के अधिकारी अमरीका के उपग्रहों को नष्ट करने के रूस और चीन के प्रयासों को लेकर काफी संवेदनशील हैं। 2007 में चीन ने एक परीक्षण के दौरान अपने ही एक मौसम उपग्रह को नष्ट करने के लिए पृथ्वी से दागी गई मिसाइल का इस्तेमाल किया जो अमरीकी मिसाइलों को भी नष्ट कर सकता था। दरअसल अमरीकी सेना स्पेस में परिक्रमा करते उन अंतरिक्ष यानों के नेटवर्क पर निर्भर है जो उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधित चेतावनियों जिसमें मिसाइल चेतावनी, जीपीएस और हथियारों की सटीक मारक क्षमता, संचार यहां तक कि जासूसी का भी केन्द्र बिंदू है।
अंतरिक्ष में भी सुपर पावर बनना चाहता है अमेरिका इसलिए तैयार कर रहा है अपनी 'स्पेस फोर्स'
रूस-चीन से आगे निकलने की होड़
अमरीका ने इन सैटेलाइट्स को उस समय अंतरिक्ष में स्थापित किया था जब वहां किसी तरह की प्रतिस्पर्धा नहीं थी। लेकिन आज हालात बदल गए हैं और अमरीका को आशंका है कि उसके धुर विरोधियों में शामिल रूस और चीन अपनी तकनीकी क्षमता के बूते इन उपग्रहों को नष्ट करने, लेजर या अन्य उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग कर नेटवर्क जाम करने का प्रयास कर सकते हैं। चीन कई मौकों पर ऐसा कर भी चुका है। इन हालातों में दोनों देशों से बराबरी का मुकाबला करने के लिए पेंस ने कहा कि अमरीका को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि अमरीका अंतरिक्ष में भी उतना ही शक्तिशाली हो जितना कि वह धरती पर है।
अंतरिक्ष में भी सुपर पावर बनना चाहता है अमेरिका इसलिए तैयार कर रहा है अपनी 'स्पेस फोर्स'
11वीं सैन्य शक्ति होगी स्पेस फोर्स
अमरीका की यह नई अंतरिक्ष लड़ाकू कमान पेंटागन की स्पेशल फोर्स और यूरोप में की तर्ज पर 11वीं टुकड़ी होगी जो अमरीका के भौगोलिक क्षेत्रों की देखरेख करती है। पेंस ने कहा कि व्हाइट हाउस संसद के साथ 2020 के अंत तक ‘शक्तिशाली अंतरिक्ष सेना’ बनाने के लिए कानून बनाने पर काम कर रहा है। हालांकि प्रस्ताव पारित करने के लिए उनके पास कितने सांसदों का समर्थन है यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सकता है। वहीं वायु सेना के सचिव हीथर विल्सन ने कहा है कि सेना की इस नई शाखा को स्थापित करने में करीब 13 बिलियन डॉलर (1300 करोड़ रुपए) का खर्च आएगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बीते गुरुवार को अंतरिक्ष में उत्पन्न खतरों पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य का हवाला देते हुए औपचारिक रूप से अमरीकी अंतरिक्ष कमान की स्थापना के आदेश दिए।
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चीन की बढ़ती ताकत को जवाब
स्पेस कमांड अब तक 287 सैन्यकर्मियों को अपनी टुकड़ी में शामिल कर चुकी है। वहीं संभावित स्पेस फोर्स जनरल रेमंड ने कहा कि वायु सेना यह तय करने में लगी है कि छह सैन्य अमरीकी ठिकानों के बीच अंतरिक्ष कमान का मुख्यालय कहां स्थापित किया जाए। अमरीकी सेना के पास पहले भी एक अंतरिक्ष कमान रही है। यह 1985 में शुरू की गई थी और 2002 में पेंटागन पर आतंकी हमले के बाद इसे पुनर्गठित किया गया था।
कुछ सामरिक विषयों के विशेषज्ञों का कहना है कि यह चीन की दिसंबर 2015 में स्थापित पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और स्ट्रेटेजिक सपोर्ट फोर्स (एसएसएफ) अंतरिक्ष बल के विरुद्ध ट्रम्प की प्रतिक्रिया है। इसके जरिए ट्रंप अब अंतरिक्ष को भी अमरीका के वर्चस्व का अखाड़ा बनाना चाहते हैं। पीएलए की अंतरिक्ष क्षमताओं में विकास पर काम करते हुए एसएसएफ को चीनी सेना के महत्वपूर्ण पुनर्गठन के लिए बनाया गया था। यह केवल अंतरिक्ष में पीएलए का समर्थन ही नहीं करती बल्कि इसकी साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता भी अद्वितीय है। यह ऐसी दोहरी ताकत है जो संभवत: भविष्य में होने वाले युद्धों के लिए जंग का मैदान पहले ही तय कर चुका है। पीएलए ने गैर-काइनेटिक हथियारों के साथ एंटी-सैटेलाइट (एएसएटी)कार्यक्रमों में भी भारी निवेश किया है, जो विदेशी उपग्रहों को निष्क्रिय करने की क्षमता रखते हैं।
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