नई कंपनी में वोडाफोन की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत जबकि आइडिया की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत होगी। आगे जाकर आदित्य बिड़ला ग्रुप और वोडाफोन का हिस्सा बराबर हो जाएगा। आइडिया का वैल्युएशन 72,2000 करोड़ रुपया आंका गया है।
फाइलिंग के मुताबिक, एबी ग्रुप के पास 130 रुपये प्रति शेयर की दर से नई कंपनी के 9.5 प्रतिशत खरीदने का अधिकार होगा। इस ऐलान के बाद आइडिया के शेयरों में 2.5% की उछाल आ गई।
क्या होंगे फायदे ब्रोकरेज कंपनी सीएलएसए की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नई कंपनी का रेवेन्यू 80,000 करोड़ से भी ज्यादा का होगा जो देश की टेलिकॉम इंडस्ट्री के कुल रेवेन्यू का 43 प्रतिशत होगा। इसके साथ ही, नई कंपनी के पास भारतीय बाजार के कुल 40 प्रतिशत मोबाइल सब्सक्राइबर्स होंगे।
इतना ही नहीं, कुल आवंटित स्पेक्ट्रम का 25 प्रतिशत हिस्सा अकेले इसी कंपनी के पास होगा। ऐसे में इसे 1 प्रतिशत स्पेक्ट्रम बेचना होगा ताकि इसकी सीमा से जुड़े नियम का पालन हो सके।
विलय में वोडाफोन और आइडिया के सभी शेयरों का विलय होगा, सिर्फ इंडस टावर्स में वोडाफोन के 42 प्रतिशत शेयरों को छोड़कर। आइडिया के नए शेयरों को वोडाफोन में जारी करने के साथ विलय लागू हो जाएगा और वोडाफोन इंडिया अपनी पैरंट कंपनी से अलग हो जाएगा।
देश के टेलिकॉम मार्केट में पिछले साल आई कंपनी रिलायंस जियो बड़ी तेजी से पांव जमा रही है। कंपनी ने पहले वेलकम ऑफर और फिर हैपी न्यू इयर ऑफर के तहत फ्री वॉइस और डेटा सर्विसेज देकर बड़े पैमाने पर ग्राहकों को जोड़ने में कामयाब रही है।
अन्य टेलीकॉम कंपनियां भी कर रही है कमाल पिछले महीने भारती एयरटेल ने भी शेयर बाजार को सूचित किया था कि वह टेलिनॉर इंडिया के ऐसेट्स खरीदेगा। नॉर्वे की कंपनी टेलिनॉर ने तब भारतीय बाजार से अपना कारोबार समेटने जा रही है जब रिलायंस जियो ने 10 करोड़ ग्राहकों को अपने साथ जोड़ने में कामयाब हो गया है।
वोडाफोन और आइडिया के विलय से बनी नई कंपनी भारत की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी हो जाएगी। अभी भारती एयरटेल देश की सबसे बड़ी कंपनी है। सूत्रों के मुताबिक, वोडाफोन मर्जर के बाद बनने वाली कंपनी में सीईओ और सीएफओ दोनों पद मांग रहा है। उसे नई कंपनी का चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला को घोषित करने से कोई ऐतराज नहीं होगा।
इस कंपनी का सीईओ वोडाफोन पीएलसी के किसी ग्लोबल एग्जिक्युटिव को बनाया जा सकता है, यह जानकारी दो सूत्रों ने दे ही। एक तीसरे सूत्र ने बताया कि टॉप लेवल रिक्रूट की तलाश शुरू भी हो गई है। वोडाफोन पीएलसी और आइडिया सेल्युलर पर मालिकाना हक रखने वाले आदित्य बिड़ला ग्रुप ने इस मामले में इकनॉमिक टाइम्स के सवालों के जवाब नहीं दिए।
पहले एक रिपोर्ट में इकनॉमिक टाइम्स ने अनुमान लगाया था कि कंसॉलिडेशन की वजह से टेलिकॉम इंडस्ट्री में 1,00,000 रोजगार कम हो सकते है। ये नौकरियां कई टेलिकॉम ऑपरेटर और इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों में खत्म हो सकती है।
इस बीच, वोडाफोन ने ऐनुअल ऑफसाइट को टाल दिया है, जिसे मार्च महीने की शुरुआत में फाइन किया जाता है और यह अप्रैल के आखिर में होता है। कुछ ब्रैंड और मार्केटिंग खर्चों को भी रोक दिया गया है।
फायदे के लिए किया था बदलाव इसी साल वोडाफोन इंडिया ने सीनियर मैनेजमेंट के रिपोर्टिंग स्ट्रक्चर में बदलाव किया था। कंपनी ने चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर बालेश शर्मा को रिपोर्टिंग अथॉरिटी बनाया था। पहले कंपनी के सीनियर एग्जिक्युटिव्स वोडाफोन इंडिया के सीईओ को रिपोर्ट करते थे।
अभी दोनों कंपनियों ने ऐक्टिव इन्फ्रास्ट्रक्चर को शेयर करने का फैसला किया है। इसमें वायरलेस इक्विपमेंट भी शामिल हैं। इसका मतलब यह है कि कोई मर्जर होता है तो उसमें बहुत दिक्कत नहीं होगी।
वोडाफोन और आदित्य बिड़ला ग्रुप ने जनवरी में कहा था कि वे इंडस टावर में वोडाफोन के 42% हिस्सेदारी को छोड़कर दोनों कंपनियों के सभी ऐसेट्स को मर्ज करने की संभावना पर काम कर रहे हैं।
अगर मर्जर के बाद दोनों कंपनियों को बराबर के राइट्स दिए जाते हैं तो उसके लिए आइडिया के नए शेयर वोडाफोन को इशू करने होंगे, जिससे ब्रिटिश वोडाफोन पीएलसी खुद को वोडाफोन इंडिया से अलग कर लेगी।