scriptशिक्षा के प्रसार के बावजूद “बेरोजगारी” दोगुनी | Education after Unemployment | Patrika News

शिक्षा के प्रसार के बावजूद “बेरोजगारी” दोगुनी

Published: Jan 16, 2015 12:12:00 pm

Submitted by:

Super Admin

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से संबद्ध श्रम ब्यूरो की ओर से जारी “युवा रोजगार-बेरोजगार परिदृश्य रिपोर्ट..

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से संबद्ध श्रम ब्यूरो की ओर से जारी “युवा रोजगार-बेरोजगार परिदृश्य रिपोर्ट 2012-13” में रोचक बातें सामने आईं। इसमें सबसे आश्चर्यजनक बात जो जाहिर हुई वह है, जो लोग पढे-लिखे नहीं हैं यानी निरक्षर माने जाते हैं, उनमें बेरोजगारी की दर सबसे कम 3.7 प्रतिशत ही है।

देश के नीति निर्माताओं के लिए यह वाकई चिंता की बात है। इस दौरान राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों के रोजगार और बेरोजगारी के आंकड़ों को मापने के लिए आयु समूहों, शिक्षा और ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों को आधार बनाया गया और श्रम संबंधी अनुमानों को शामिल किया गया। यह सर्वेक्षण अक्टूबर, 2012 से मई, 2013 के दौरान किया गया।

इलाका और आयु वर्ग
सर्वेक्षण में पाया गया कि शिक्षा का स्तर बढ़ने के साथ सभी आयु वगोंü (15 से 24, 18 से 29 और 15 से 29) में बेरोजगारी दर भी बढ़ रही है। सर्वेक्षण के मुताबिक देश में शिक्षा का स्तर बढ़ने के साथ-साथ विभिन्न उम्र वगोंü में बेरोजगारी दर भी बढ़ रही है। 15 से 29 वर्ष आयु वर्ग में ग्रामीण इलाकों में स्नातक तक या उससे ज्यादा शिक्षा पाने वालों में बेरोजगारी की दर 36.6 प्रतिशत है, जबकि शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर 26.5 प्रतिशत है।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2012-13 में 15 से 24 वर्ष आयु वर्ग के बीच बेरोजगारी की दर 18.1 फीसदी है और 18 से 29 वर्ष आयु वर्ग के बीच बेरोजगारी की दर 13 प्रतिशत है। मंत्रालय के मुताबिक 15 से 29 वर्ष आयु वर्ग के बीच के लोगों में ज्यादातर स्वरोजगार से जुड़े हैं या फिर अस्थाई कर्मचारी हैं।

शिक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
रिपोर्ट में यह महžवपूर्ण तथ्य सामने आया है कि कम पढ़े-लिखे या निरक्षर लोग किसी न किसी काम से जुड़े हैं। इसे हमारी शिक्षा की व्यावहारिकता पर प्रश्नचिन्ह माना जा सकता है? तमाम युवा ऊंची शिक्षा इसलिए ले रहे हैं, ताकि उन्हें बेहतर रोजगार मिल सके।

पर वास्तव में सच्चाई यह भी है कि जिन लोगों को रोजगार मिला हुआ है, वे अपनी शैक्षणिक योग्यता से कम की नौकरी कर रहे हैं और ऎसे में समाज मूल्यवान कौशल गंवा रहा है, जिससे मजबूत उत्पादकता प्रभावित हो रही है। सर्वेक्षण के आधार पर रिपोर्ट में बताया गया कि 15 से 29 आयु वर्ग के 1000 लोगों में से 13.3 फीसद लोग बेरोजगार थे।

संभावनाएं कितनी?
विश्व श्रम संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक इस समय दुनिया में 7.5 करोड़ लोग बेरोजगार हैं। ये सभी 15 से 24 साल के हैं और कुल श्रम शक्ति का करीब 13 फीसदी है। इसमें सरकारों और दुनिया भर के उद्योगपतियों को चेतावनी दी गई कि रोजगार के अवसर पैदा करने के प्रयास किए जाने चाहिए।

तमाम दक्ष युवाओं को मजबूरी में अंशकालिक काम करना पड़ रहा है या फिर वे ऎसा काम कर रहे हैं, जिसमें किसी दक्ष श्रमिक की जरूरत ही नहीं है। करीब 60 लाख युवा रोजगार के अभाव में समाज से पूरी तरह कट चुके हैं, क्योंकि वे अपनी क्षमताओं का समाज के लिए उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।

फिलहाल रोजगार के क्षेत्र में नई संभावनाएं नजर नहीं आ रही हैं। रिपोर्ट यह भी कहती है कि दुनिया भर में विकास की दर इतनी नहीं है कि बेरोजगारों की बढ़ती संख्या पर काबू पाया जा सके। इसलिए साल 2017 तक वैश्विक स्तर पर बेरोजगारी की दर 8 फीसदी ही रहेगी, जो 2013 में 8.7 प्रतिशत है।

उम्मीद है दूर?
आर्थिक सुस्ती के दबाव में बेरोजगारी से जूझते लोगों को नए साल में भी राहत मिलने की कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है। आउटसोसिंüग सेवा देने वाली कंपनी इंडिया स्ट्रांग, कौशल का आकलन करने वाली व्हीलबॉक्स और उद्योग संगठन सीआईआई के संयुक्त सर्वेक्षण के मुताबिक देश में कौशल विकास बेहतर होने के बावजूद वर्ष, 2014 में नौकरियों के अवसर में महज 1.5 फीसदी की ही बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले वर्ष इंजीनियरिंग, हॉस्पिटेलिटी और पर्यटन क्षेत्र में लोगों को रोजगार के अवसर तो प्राप्त होंगे, लेकिन बैंकिंग, वित्त, बीमा, सूचना प्रौद्योगिकी और निर्माण क्षेत्र में कोई खास बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है।

नौकरी पाने की इच्छा रखने वाले युवकों में से मात्र 34 प्रतिशत उम्मीदवार ही चयन के लिए योग्य हैं, जबकि 66 प्रतिशत लोग अकुशल हंै और इनमे अंग्रेजी के साथ ही कंप्यूटर की जानकारी का अभाव भी है। 1 लाख युवकों को परीक्षा में शामिल किया गया।

सुविधाएं मिलीं फिर भी महरूम
तमाम सुविधाओं के होते हुए भी उत्तरी राज्यों के अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वगोंü में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर चंडीगढ़ में है। सबसे कम बेरोजगारी दर हिमाचल प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के बीच है। सर्वेक्षण के मुताबिक अनुसूचित जनजाति के बीच चंडीगढ़ में प्रति 1000 पर बेरोजगारी 151, जम्मू-कश्मीर में 132, दिल्ली में 82, पंजाब में 55, हरियाणा में 42 और हिमाचल प्रदेश में 36 है। ओबीसी जनसंख्या में भी बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा चंडीगढ़ में 124, हिमाचल में 97, दिल्ली में 78, हरियाणा में 52 और पंजाब में 38है।

संबंधित तथ्य
रिपोर्ट कार्ड के अनुसार यह खास है कि कम से कम ग्रेजुएशन पूरी करने वाले या उच्च शिक्षित तीन युवाओं में से एक बेरोजगार है।

देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी हिमाचल प्रदेश में है जो 17.7 प्रतिशत है जबकि हरियाणा में सबसे कम 12.3 प्रतिशत है।

राज्य स्तर पर इस आयु समूह में बेरोजगारी की दर पंजाब में 13.5, हरियाणा में 12.3 और चंडीगढ़ में 13.6 प्रतिशत है।

15 से 29 आयु समूह के मध्य के अधिकतर युवा स्वरोजगार को अपनाते हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में इस आयु समूह के स्नातक तक बेरोजगारी की दर 36.6 फीसदी प्रतिशत है, जबकि उच्च शिक्षित लोगों में यह 26.5 प्रतिशत रही।
अनपढ़ लोगों में बेरोजगारी दर सबसे कम 3.7 प्रतिशत रही।

बेरोजगारी दर
आयु समूह बेरोजगारी की
दर (प्रतिशत में)
15-24 वर्ष 18.1
18-29 13.0
15-29 13.3

श्रम शक्ति
सहभागिता दर
विभिन्न आयु समूह में श्रम शक्ति सहभागिता दर 15 से 24 में 25.5, 18 से 29 में 41.2, 15 से 29 वर्ग में 34.2 प्रतिशत रही है।
उत्तरी राज्यों में देखें तो श्रम शक्ति सहभागिता दर पंजाब में 36.2, चंडीगढ़ में 36.2, हिमाचल प्रदेश में 45.2 प्रतिशत रही।

राष्टट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर
श्रेणी 2009-10 2011-12
ग्रामीण पुरूष 1.9 2.1
ग्रामीण महिला 2.4 2.9
ग्रामीण (स्त्री और पुरूष) 2.1 2.3
शहरी पुरूष 3.0 3.2
शहरी महिला 7.0 6.6
शहरी( स्त्री और पुरूष) 3.7 3.8
पुरूष ( ग्रामीण और शहरी) 2.2 2.4
महिला( ग्रामीण और शहरी) 3.3 3.7
स्त्री और पुरूष (ग्रामीण और शहरी) 2.5 2.7

मन्जु माहेश्वरी
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो