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जानिए किन कारणों से पिता-पुत्र के बीच बढ़ने लगती हैं दूरियां, होने लगते है बात बात पर झगड़े

Published: Jan 02, 2021 10:46:00 pm

Submitted by:

Pratibha Tripathi

पिता पुत्र के रिश्ते में आना चाहिए प्रकार का मैत्री भाव, नही तो आ सकती हैं दोनों के बीच दूरियां

distance between father and son

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नई दिल्ली। कहते है बेटे का मां से जितना लगाव होता है उतना पिता से नही। और जैसे जैसे समय बदलता है बैसे-बैसे पिता-पुत्र के रिश्तों में काफी बदलाव होने लगता है, कई बार तो दोनो में तनाव भी देखने को मिलता है। दरअसल पिता-पुत्र के बीच एक जनरेशन का गैप होता है। इसकी एक वजह यह भी है कि जो पिता अपने बाल्यावस्था से युवा अवस्था तक जो भी अपने अगल-बगल देखता है पुत्र के युवा होने तक उसमें बड़ा बदलाव आ जाता है। ज़ाहिर है पिता और पुत्र के उम्र के अंतर में काफी कुछ बदल चुका होता है। जबकि पिता अपनी उम्र के हिसाब से सब कुछ देखता और समझता है दूसरी ओर पुत्र के समय में काफी बदलाव आ चुका होता है जिससे दोनों के बीच दूरियां आ जाती हैं। इस गैप को भरने के लिए यह ज़रूरी होता है कि दोनों एक-दूसरे को समझें जब कि दोनों इस बात पर अड़े रहते हैं कि हमे समझा क्यों नहीं जा रहा है।

बड़ों की रोक-टोक

ज्यादातर घरों में पुत्र के तरुण अवस्था में पहुंचते ही पिता उसकी हर बात पर रोकटोक करते हैं, जिससे पुत्र को यह नागंवार लगता है। जब की इस रोक-टोक के पीछे पिता का अनुभव और पिता की चिंता छिपी होती है, जिसे आज़ाद खयाल बच्चे रोक-टोक समझते हैं, और पिता पुत्र के बीच इस विषय पर अक्सर तनाव बना रहता है। यह बात पिता को भी समझनी चाहिए कि अब उनका बेटा बड़ा हो गया है वह अपना भला-बुरा बेहतर समझ सकता है। लिहाजा इस रोक-टोक से अंदर ही अंदर दूरियां बढ़ने लगती हैं।

स्वभाव में अंतर

माता-पिता के स्वभाव में काफी अंतर होता है। मां बच्चे को डांटती है तो पुचकार भी लेती हैं। लेकिन पिता का स्वभाव इससे अलग होता है। हमारे समाज में पिता को नारियल की तरह माना गया है। जो बाहर से कठोर और अंदर से मुलायम होता है। पिता चाह कर भी मां की तरह अपने प्रेम को व्यक्त नहीं कर पाता है। जिससे पुत्र यह समझ बैठता है कि पिता उससे मतलब ही नहीं रखते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि बेटा पिता से अपनी बातें साझा करना छोड़ देता है और दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगती हैं।

पिता-पुत्र के बीच वैचारिक मतभेद

पिता-पुत्र के बीच अधिकतर विचारों में काफी अंतर रहता है। यह आज के समय में और भी सामान्य बात हो गई है। जानकार मानते हैं कि पिता और पुत्र दोनों ही पुरुष हैं अतह दोनों के ईगो टराते हैं जिससे उनके बीच का तनाव किसी एक बिंदु पर खत्म नहीं होता है बल्कि दोनों के बीच तनाव बढ़ता जाता है, और यह गांठ आगे चलकर दोनों के लिए कष्ट का कारण बन सकता है।

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