कोई
व्यक्ति कितना क्रिएटिव है और कितना नहीं, इसकी परख उसके अब तक के काम से बेहतर और
कहां हो सकती है? आप पूछ सकते हैं कि उसने अब तक कौन-कौन से प्रोजेक्ट किए हैं और
उसने इसे किस तरह अलग किया?
कर लें थोड़ी टेस्टिंग
किसी व्यक्ति की असल क्रिएटिविटी की पहचान उसकी तात्कालिक सोच से फौरन हो जाती है। आप उसे कोई टास्क या सिचुएशन देकर उसकी क्रिएटिविटी टेस्ट कर सकते हैं।
किसी व्यक्ति की असल क्रिएटिविटी की पहचान उसकी तात्कालिक सोच से फौरन हो जाती है। आप उसे कोई टास्क या सिचुएशन देकर उसकी क्रिएटिविटी टेस्ट कर सकते हैं।
बताएं कोई समस्या
क्रि एटिविटी सिर्फ प्रोजेक्ट्स के लिए नहीं, समस्या हल करने के लिए भी ये जरूरी हैं। इसके लिए आप यहां आवेदक को कोई समस्या बताएं। फिर हल के प्रति उसकी अप्रोच देखें।
अप्रोच की सोच
बहुत बार लोग क्रिएटिव दिखने के चक्कर में कुछ ऎसे उदाहरण या केस स्टडीज याद ही करके आ जाते हैं, जो आपको उनकी अपनी कहानी लग सकती है। इस तरह के लोगों की पहचान के लिए और असली क्रिएटिव व्यक्ति की परख के लिए आप इनमें से कोई भी उपाय आजमाकर देख सकते हैं। सच्चाई आपके सामने आ जाएगी।
क्या था आइडिया
कोई व्यक्ति जब अपनी किसी पिछली उपलब्घि को गिनवा रहा हो, तब आप उससे पूछ सकते हैं कि उसके अमुक कदम के पीछे उसकी सोच या अप्रोच क्या थी? इससे आप जान सकेंगे कि उसका कोई फैसला अचानक था या सोचकर उठाया कदम?
पीछे की अप्रोच
जब आप आवेदक को कोई टास्क या सिचुएशन देकर उसकी क्रिएटिविटी टेस्ट करते हैं, तब बाद में उससे पूछें कि इस दौरान उसने कोई अप्रोच विशेष ही क्यों अपनाई? वह अप्रोच कैसे मददगार थी? आप उसे वैकल्पिक हल देकर भी उसकी राय पूछ सकते हैं।
कराएं डिबेट
क्रि एटिव लोग नए आइडिया तो देते हैं, लेकिन पुराने आइडियाज को खारिज करने से भी चूकते नहीं हैं। ऎसे ही कुछ पुराने आइडियाज देकर आवेदकों के बीच डिबेट करवा सकते हैं। उनके तर्को से आपको उनकी सोच बेहतर ढंग से पता लग सकेगी।
सोचें थोड़ा अलग
आवेदकों में आपको एक बात कॉमन लग सकती है। हर कोई नौकरी के लिए रिक्रूटर की हां मे हां मिलाने को राजी हो जाता है। आपकी पुरानी नीति, पुरानी सक्सेस आदि को वह सराहता रहता है। आप उनसे कुछ अलग सोचने की उम्मीद करें। फिर देखें कि वे किस तरह के विकल्प देते हैं। यही किएटिविटी होगी।
अगर होते आप
आपकी कंपनी की पुरानी नीतियों का पता तो इन्हें लग ही गया होगा। ऎसे में आवेदक में नया क्या है? अपनी किसी स्थिति पर पूछें कि यदि वह उस स्थान पर होते, तो फैसला क्या होता? आप अपनी कोई स्थिति बता सकते हैं।
नहीं चाहिए यस ब्वॉय
जरूर गौर करें कि कहीं सामने वाला जबरन तो आपकी बातों मे हां में हां नहीं मिला रहा? ऎसे लोग क्रिएटिव नहीं होते।
बताएं कुछ डिफरेंट
आवेदक से पूछें कि उसने अब तक के काम में क्या अलग नीति अपनाई?
व्यक्तित्व के गुण
किसी एंप्लॉई की पिछली प्रोफेशनल सक्सेस आपकी कंपनी के लिए कहीं से भी मददगार नहीं हो सकती, अगर उसे सबके साथ मिल-जुलकर और अपनी टीम को साथ लेकर काम करना नहीं आता। मानव व्यक्तित्व के कुछ विशेष्ा गुणों को हायरिंग प्रोसेस में पर्याप्त महत्व दें, क्योंकि ये वर्कप्लेस पर तालमेल के लिए जरूरी हैं।
कह दें गलत
किसी व्यक्ति की सहनशीलता या ईगो के स्तर की परख करने के लिए सबसे आसान तरीका है कि आप उसकी अप्रोच या काम को गलत कह दें। अब वह किस तरह अपनी बात रखता है, इससे उसके सब्र की परीक्षा हो जाएगी।
नम्रता तो चाहिए क ोई कितना भी जानकार क्यों न हो, यदि लोगों से ठीक ट्रीटमेंट नहीं करता तो कोई उसके पास जाते हुए भी डरेगा। ग्रुप एक्टिविटीज में व्यक्तिगत व्यवहारों पर गौर करें।
क्रि एटिविटी सिर्फ प्रोजेक्ट्स के लिए नहीं, समस्या हल करने के लिए भी ये जरूरी हैं। इसके लिए आप यहां आवेदक को कोई समस्या बताएं। फिर हल के प्रति उसकी अप्रोच देखें।
अप्रोच की सोच
बहुत बार लोग क्रिएटिव दिखने के चक्कर में कुछ ऎसे उदाहरण या केस स्टडीज याद ही करके आ जाते हैं, जो आपको उनकी अपनी कहानी लग सकती है। इस तरह के लोगों की पहचान के लिए और असली क्रिएटिव व्यक्ति की परख के लिए आप इनमें से कोई भी उपाय आजमाकर देख सकते हैं। सच्चाई आपके सामने आ जाएगी।
क्या था आइडिया
कोई व्यक्ति जब अपनी किसी पिछली उपलब्घि को गिनवा रहा हो, तब आप उससे पूछ सकते हैं कि उसके अमुक कदम के पीछे उसकी सोच या अप्रोच क्या थी? इससे आप जान सकेंगे कि उसका कोई फैसला अचानक था या सोचकर उठाया कदम?
पीछे की अप्रोच
जब आप आवेदक को कोई टास्क या सिचुएशन देकर उसकी क्रिएटिविटी टेस्ट करते हैं, तब बाद में उससे पूछें कि इस दौरान उसने कोई अप्रोच विशेष ही क्यों अपनाई? वह अप्रोच कैसे मददगार थी? आप उसे वैकल्पिक हल देकर भी उसकी राय पूछ सकते हैं।
कराएं डिबेट
क्रि एटिव लोग नए आइडिया तो देते हैं, लेकिन पुराने आइडियाज को खारिज करने से भी चूकते नहीं हैं। ऎसे ही कुछ पुराने आइडियाज देकर आवेदकों के बीच डिबेट करवा सकते हैं। उनके तर्को से आपको उनकी सोच बेहतर ढंग से पता लग सकेगी।
सोचें थोड़ा अलग
आवेदकों में आपको एक बात कॉमन लग सकती है। हर कोई नौकरी के लिए रिक्रूटर की हां मे हां मिलाने को राजी हो जाता है। आपकी पुरानी नीति, पुरानी सक्सेस आदि को वह सराहता रहता है। आप उनसे कुछ अलग सोचने की उम्मीद करें। फिर देखें कि वे किस तरह के विकल्प देते हैं। यही किएटिविटी होगी।
अगर होते आप
आपकी कंपनी की पुरानी नीतियों का पता तो इन्हें लग ही गया होगा। ऎसे में आवेदक में नया क्या है? अपनी किसी स्थिति पर पूछें कि यदि वह उस स्थान पर होते, तो फैसला क्या होता? आप अपनी कोई स्थिति बता सकते हैं।
नहीं चाहिए यस ब्वॉय
जरूर गौर करें कि कहीं सामने वाला जबरन तो आपकी बातों मे हां में हां नहीं मिला रहा? ऎसे लोग क्रिएटिव नहीं होते।
बताएं कुछ डिफरेंट
आवेदक से पूछें कि उसने अब तक के काम में क्या अलग नीति अपनाई?
व्यक्तित्व के गुण
किसी एंप्लॉई की पिछली प्रोफेशनल सक्सेस आपकी कंपनी के लिए कहीं से भी मददगार नहीं हो सकती, अगर उसे सबके साथ मिल-जुलकर और अपनी टीम को साथ लेकर काम करना नहीं आता। मानव व्यक्तित्व के कुछ विशेष्ा गुणों को हायरिंग प्रोसेस में पर्याप्त महत्व दें, क्योंकि ये वर्कप्लेस पर तालमेल के लिए जरूरी हैं।
कह दें गलत
किसी व्यक्ति की सहनशीलता या ईगो के स्तर की परख करने के लिए सबसे आसान तरीका है कि आप उसकी अप्रोच या काम को गलत कह दें। अब वह किस तरह अपनी बात रखता है, इससे उसके सब्र की परीक्षा हो जाएगी।
नम्रता तो चाहिए क ोई कितना भी जानकार क्यों न हो, यदि लोगों से ठीक ट्रीटमेंट नहीं करता तो कोई उसके पास जाते हुए भी डरेगा। ग्रुप एक्टिविटीज में व्यक्तिगत व्यवहारों पर गौर करें।
दें मौके
किसी व्यक्ति के वास्तविक व्यक्तित्व की परख तब नहीं होती, जब उसके पास धोखाधड़ी के विकल्प नहीं होते, यह परख तो तब होगी जब वह ऎसे विकल्प मौजूद होने के बावजूद उन्हें चुनेगा ही नहीं। अपने टास्क में ऎसी स्थितियां पैदा करें।
किसी व्यक्ति के वास्तविक व्यक्तित्व की परख तब नहीं होती, जब उसके पास धोखाधड़ी के विकल्प नहीं होते, यह परख तो तब होगी जब वह ऎसे विकल्प मौजूद होने के बावजूद उन्हें चुनेगा ही नहीं। अपने टास्क में ऎसी स्थितियां पैदा करें।