वह सोच ही थी कि बेटा न होने की वजह से ही हुकुम ने उससे शादी की थी, अब अगर बेटा न रहा, तो वह संजना पर ध्यान देना छोड़ देगा और सिर्फ उसे प्यार करेगा। एक दिन लक्ष्मी करीब डेढ़ साल के जयदीप को अपने कमरे में ले गई और उसके मुंह में कपड़ा ठूंस कर उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने जब तलाशी ली, तो बच्चे की लाश उसके कमरे में मिली। लाश छुपाने के लिए उसने उस पर वजनी फर्शी और बिस्तर रख दिए थे। रात में वह लाश ठिकाने लगाने वाली थी। यह सच्ची घटना है। भरोसा नहीं होता कि महज जलन की वजह से किसी ने एक मासूम को मौत के घाट उतार दिया।
शर्मसार करती हैं ये घटनाएं…
कैसे कोई कर सकता है किसी मासूम पर अत्याचार? छोटे-से बच्चे की हत्या? क्या ममता नहीं जागती होगीे? हाथ नहीं कांपते होंगे? अंतरआत्मा धिक्कारती नहीं होगी? पिछले महीने घटी इन घटनाओं पर एकबारगी तो भरोसा नहीं होता…
कैसे कोई कर सकता है किसी मासूम पर अत्याचार? छोटे-से बच्चे की हत्या? क्या ममता नहीं जागती होगीे? हाथ नहीं कांपते होंगे? अंतरआत्मा धिक्कारती नहीं होगी? पिछले महीने घटी इन घटनाओं पर एकबारगी तो भरोसा नहीं होता…
गोंदा, झारखंड
तीन बेटियां होने के बावजूद एक दंपती ने खुद को नि:संतान बताते हुए एक दो साल का लडक़ा गोद लिया। एक दिन पड़ोसन ने देखा कि मासूम बच्चे को वे लोग मोमबत्ती से जला रहे हैं। उसने पुलिस को बताने की धमकी दी, तो उसके साथ भी मारपीट की गई। उसने पुलिस को बच्चे पर अत्याचार की सूचना दी। पालक पिता इस बात से इनकार कर रहा है, लेकिन यह भी साफ नहीं कर पा रहा कि उसने नि:संतान होने का झूठ क्यों बोला। बताया गया कि पालक बाप ने गोद लेने की प्रक्रिया में पड़ोसन को डरा-धमका कर कानून के सामने अपनी बहन के तौर पर पेश भी किया था।
तीन बेटियां होने के बावजूद एक दंपती ने खुद को नि:संतान बताते हुए एक दो साल का लडक़ा गोद लिया। एक दिन पड़ोसन ने देखा कि मासूम बच्चे को वे लोग मोमबत्ती से जला रहे हैं। उसने पुलिस को बताने की धमकी दी, तो उसके साथ भी मारपीट की गई। उसने पुलिस को बच्चे पर अत्याचार की सूचना दी। पालक पिता इस बात से इनकार कर रहा है, लेकिन यह भी साफ नहीं कर पा रहा कि उसने नि:संतान होने का झूठ क्यों बोला। बताया गया कि पालक बाप ने गोद लेने की प्रक्रिया में पड़ोसन को डरा-धमका कर कानून के सामने अपनी बहन के तौर पर पेश भी किया था।
टेक्सास, अमरीका
विदेश में रहने वाले भारतीय दंपती ने एक बच्ची को गोद लिया। एक रात को तीन साल की वह बच्ची गायब हो गई। बाद में उसका शव घर से दूर एक सुरंग में मिला। बताया गया कि दूध न पीने की सजा के तौर पर उसके पालक पिता ने उसे रात के तीन बजे बाहर खड़ा कर दिया था। बात नहीं मानने पर उसने बच्ची को जबरन दूध पिलाने की कोशिश की थी, जिसे सांस रुकने की वजह से बच्ची की मौत हो गई थी। लापरवाही कहें या कोई बुरा इरादा, बच्ची की जान चली गई।
विदेश में रहने वाले भारतीय दंपती ने एक बच्ची को गोद लिया। एक रात को तीन साल की वह बच्ची गायब हो गई। बाद में उसका शव घर से दूर एक सुरंग में मिला। बताया गया कि दूध न पीने की सजा के तौर पर उसके पालक पिता ने उसे रात के तीन बजे बाहर खड़ा कर दिया था। बात नहीं मानने पर उसने बच्ची को जबरन दूध पिलाने की कोशिश की थी, जिसे सांस रुकने की वजह से बच्ची की मौत हो गई थी। लापरवाही कहें या कोई बुरा इरादा, बच्ची की जान चली गई।
समझनी होगी रिश्तों की अहमियत
कैसे स्वार्थ के चलते कोई उन बच्चों की जान ले या उनसे सौतेला व्यवहार कर सकता है, जिन्हें वह मां या बाप पुकारता है! मासूम बच्चों के साथ बुरा करने के बाद कैसे लोगों को नींद आती है? क्या उनमें इंसानियत बिल्कुल नहीं बचती? जबकि इंसानियत हर चीज से बड़ी है। रिश्तों की खूबसूरती उन्हें निभाने में है। फिर वह सगे हों या सौतेले या गोद लिए हुए। रिश्तों की अहमियत समझनी होगी।
कैसे स्वार्थ के चलते कोई उन बच्चों की जान ले या उनसे सौतेला व्यवहार कर सकता है, जिन्हें वह मां या बाप पुकारता है! मासूम बच्चों के साथ बुरा करने के बाद कैसे लोगों को नींद आती है? क्या उनमें इंसानियत बिल्कुल नहीं बचती? जबकि इंसानियत हर चीज से बड़ी है। रिश्तों की खूबसूरती उन्हें निभाने में है। फिर वह सगे हों या सौतेले या गोद लिए हुए। रिश्तों की अहमियत समझनी होगी।
खून के रिश्ते ही सब कुछ नहीं होते। इंसानियत भी कोई चीज होती है। ममता तो एक ऐसा भाव है, जो बच्चों के लिए खुद-ब-खुद उमड़ आता है। बच्चे तो बच्चे ही हैं।
दत्तक बच्चे का हक छीनना अपराध
दत्तक बच्चे का हक छीनना अपराध
सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट गुंजन चौकसे बताती हैं कि हिन्दू एडॉप्शन एंड मेंटीनेंस एक्ट, 1956 की धारा 20 के तहत बच्चों को गोद लेने वाले अभिभावकों से बड़े होने तक भरण-पोषण पाने का अधिकार है। सभी मामलों में भरण-पोषण में भोजन, कपड़े, रहने की जगह, शिक्षा और चिकित्सकीय सुविधा और इलाज शामिल है। इस एक्ट के मुताबिक, बच्चों को गोद लेने वाले परिवार में जैविक बच्चों की तरह सारे अधिकार मिलेंगे, लेकिन वे अपने जैविक परिवार में संपत्ति समेत सारे अधिकार खो देंगे। हिन्दू एडॉप्शन एंड मेंटीनेंस एक्ट, 1956 के मुताबिक ही हिन्दू समेत बौद्ध, जैन, सिक्ख धर्मों में गोद लेने के नियम लागू होते हैं। इसके अलावा दो कानून द गार्जियन एंड वाड्र्स एक्ट, 1890 और द जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन) एक्ट, 2000 (2006 में संशोधित) और हैं। ये सभी धर्मों पर लागू होते हैं। इन एक्ट का उल्लंघना करना अपराध की श्रेणी में आता है।
सौतेले बच्चों के लिए नया कानून
15 जनवरी 2017 को सेंट्रल एडॉप्शन रीसोर्सेज अथॉरिटी ने एडॉप्शन रेगुलेशन, 2017 बनाया। 16 जनवरी से प्रभावी इस रेगुलेशन के तहत गोद लेने की प्रक्रिया की मॉनिटरिंग भी की जाएगी। इसके नियम जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन) एक्ट, 2015 से लिए गए हैं। पहले भारत में ऐसा कोई कानून नहीं था, जो सौतेले माता या पिता और सौतेले बच्चे के बीच कानूनी संबंध की व्याख्या करता हो। सौतेले बच्चे का सौतेले माता या पिता की संपत्ति पर भी कोई अधिकार नहीं होता। इसके अलावा बच्चा भी अपने सौतेले माता या पिता की वृद्धावस्था में उनकी देखभाल करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं होता। अब नए रेगुलेशन के तहत सौतेले बच्चे को मां-बाप राष्ट्रीय दत्तक संस्था के जरिए गोद ले सकते हैं। इस तरह वे उनके साथ अपने संबंध को कानूनी रूप दे सकते हैं। नए नियम के तहत रिश्तेदार भी बच्चों को गोद ले सकेंगे।
15 जनवरी 2017 को सेंट्रल एडॉप्शन रीसोर्सेज अथॉरिटी ने एडॉप्शन रेगुलेशन, 2017 बनाया। 16 जनवरी से प्रभावी इस रेगुलेशन के तहत गोद लेने की प्रक्रिया की मॉनिटरिंग भी की जाएगी। इसके नियम जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन) एक्ट, 2015 से लिए गए हैं। पहले भारत में ऐसा कोई कानून नहीं था, जो सौतेले माता या पिता और सौतेले बच्चे के बीच कानूनी संबंध की व्याख्या करता हो। सौतेले बच्चे का सौतेले माता या पिता की संपत्ति पर भी कोई अधिकार नहीं होता। इसके अलावा बच्चा भी अपने सौतेले माता या पिता की वृद्धावस्था में उनकी देखभाल करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं होता। अब नए रेगुलेशन के तहत सौतेले बच्चे को मां-बाप राष्ट्रीय दत्तक संस्था के जरिए गोद ले सकते हैं। इस तरह वे उनके साथ अपने संबंध को कानूनी रूप दे सकते हैं। नए नियम के तहत रिश्तेदार भी बच्चों को गोद ले सकेंगे।