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संपत्ति का ब्योरा ने देने वाले करीब 100 आईएएस का रुक सकता है प्रमोशन

locationलखनऊPublished: Jan 13, 2021 04:54:30 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

सरकार के निर्देशों के बावजूद उत्तर प्रदेश कैडर के 100 से अधिक आईएएस अफसरों ने अभी तक अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया है

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सचिव, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय ने योगी सरकार को पत्र भी भेजा है, जिसके बाद अब राज्य सरकार सख्ती करने पर विचार कर रही है

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. यूपी कैडर के 100 से अधिक आईएएस का प्रमोशन रोका जा सकता है। सरकार के निर्देशों के बावजूद आईएएस अफसरों ने अभी तक अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया है। इस सम्बंध में सचिव, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय ने योगी सरकार को पत्र भी भेजा है, जिसके बाद अब राज्य सरकार सख्ती करने पर विचार कर रही है। इसके तहत आईएएस जब तक संपत्ति का ब्योरा नहीं देंगे तब तक उन्हें प्रमोशन नहीं मिलेगा। इस बारे में मुख्य सचिव भी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि जो ब्योरा नहीं देगा, उसे प्रमोशन नहीं मिलेगा।
केंद्र सरकार की ओर से यूपी की जो लिस्ट जारी हुई है, उसके मुताबिक, 78 आईएएस ने वर्ष 2018 में और 68 आईएएस ने वर्ष 2019 में अपनी अचल संपत्ति की डिटेल नहीं दी है। कुछ अफसर ऐसे भी हैं, जिन्होंने न तो 2018 में और न ही 2019 में संपत्ति की डिटेल दी। ऐसे में केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने ऐसे अफसरों की प्रमोशन लिस्ट रोक सकता है। इनमें से कुछ अफसर रिटायर भी हो चुके हैं।
मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनते ही यूपी कैडर के आईएएस अफसरों से उनकी चल-अचल संपत्ति का ब्योरा मांगा था। अब तक कई बार मुख्य सचिव व अपर मुख्य सचिव नियुक्ति की तरफ से इन अफसरों से कई बार संपत्ति का ब्योरा देने का कहा गया है। बार-बार तारीखें बढ़ाने के बावजूद अब तक 100 से अधिक आईएएस अफसरों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है।
अफसरों को बनाया चपरासी-चौकीदार
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भ्रष्ट व नियम विरुद्ध प्रमोशन पाने वाले अफसरों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है। बीते दिनों अपर जिला सूचना अधिकारी पद पर तैनात चार अधिकारियों को डिमोट करते हुए चौकीदार, चपरासी, ऑपरेटर और सहायक बना दिया। जानकारी के मुताबिक, नवम्बर 2014 में उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग में नियम विरुद्ध इन्हें प्रमोट किया गया था। नियम विरुद्ध इनकी पदोन्नति को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इससे पहले भी एक एसडीएम को डिमोट कर तहसीलदार बनाया गया था।
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