इस अवसर पर मंदिर के मुख्य श्रृंगार विशेषज्ञ मुक्तेस्वर अग्रहरी, दीपू ठाकुर, दिविक खरे एवं अंकुर सिंह ने बताया की "बेसन, चन्दन, गंगाजल, भात,पंचतत्वों एवं हवन सामग्री से बनाई गई भसम, सूखे मेवे, पंच फल, रुद्राक्ष माला एवं दाने, पूजन मे प्रयोग होने वाला रंग, कौड़िया,गोमती चक्र, छोटे शंख, पंच अनाज, कमल गट्टा, मखाने, पंच पुष्प जिसमे मदर का फूल, धतूरे एवं बेलपत्र की माला व अलग से भी,समी की पत्ती, इत्र, नेत्र, कुण्डल, त्रिशूल एवं डमरू आदि का प्रयोग बाबा के किसी भी श्रृंगार में होता है।
सबसे पहले समस्त श्रृंगारकर्ता मनकामेश्वर महादेव से तीन बार "बाबा मैं आपसे आपका श्रृंगार करने की आज्ञा लेता हूँ" उच्चारण करते हैं उसके बेसन भात एवं चन्दन, रंग व गंगा जल मिला कर श्रृंगार करने के लिए उसका बेस तैयार किया जाता है
तत्पश्चात उपरोक्त सामग्री से अलग-अलग स्वरुप उकेरा जाता है, स्वरुप कौन सा या श्रृंगार का रूप कौन सा होगा इसका निर्णय उस दिन की विशेषता, पर्व एवं थीम आदि के आधार पर होता है लेकिन ऐसी मान्यता है की जब श्रृंगारकर्ता श्रृंगार करना आरम्भ करे हैं वैसे ही उनके मन का सोचा नहीं हो पाता बाबा स्वयं ही अपना रूप उकेर लेते हैं।
एक श्रृंगार को पूर्ण रूप देने में कम से कम 20 मिनट लगते हैं लेकिन अपनी पूर्ण भव्यता प्राप्त करने मे इसको 45 मिनट का समय लगता है"।
ढोल, नागफनी,डमरू, शंख, नगाड़ा, मजीरा,की ध्वनि पर जब मठ-मंदिर की महन्त देव्यागिरि ने महाआरती प्रारम्भ की उसी क्षण पूरा मंदिर प्रांगण हर हर महादेव और जय शिव शम्भू जयघोष से गूंज उठा। पूजन का कार्यक्रम रात्रि 12 बाजे से प्रारम्भ हुआ जिसमे महादेव का आगमन रुद्राभिषेक कर के किया गया
दूध, बेसन, शहद, दही,तिल, जौ व चन्दन से बाबा मनकामेश्वर भव्य महाअभिषेक किया गया, अभिषेक मे प्रयोग किए गए दूध की खीर प्रसाद बनाकर वितरित हुआ प्रागण मे आने वाले कई भक्तों ने कई वर्षो से हो रहे इस प्रयास की सरहाना की।
रात्रि एक बजे से ही मंदिर के बाहर श्रधालुओ की लाइन लगना शुरू हो गई थी जो सुबह होते-होते मनकामेश्वर उपवन घाट रोड तक पहुंच गई जैसा की मौसम विभाग का वर्षा होने का पहले से ही अनुमान था लेकिन हल्की-फुल्की हुई बारिश में भी भक्तो का उत्साह अपने सम्पूर्ण उफान पर था। पर्यावरण की अवस्था को ध्यान मंदिर प्रसाशन ने इस बार मंदिर परिसर मे पॉलीबाग का प्रयोग पूर्णता बैन किया है जिसके बारे मे बार-बार मंदिर प्रसाशन उद्घोषणा करवा रहा था। पंडित शिव राम अवस्थी के आचार्यत्व में 11 ब्राह्मणो ने विश्व कल्याण के लिए महामृत्युंजय का निरंतर पाठ किया।
इस आयोजन मे मदिर की ओर अमित गुप्ता, अंकुर पांडेय, अमन शुक्ल, मोहित कश्यप, राजकुमार, मुकेश गुप्ता, विजय मिश्रा, डब्बू अग्रवाल, अमन शुक्ला, दीपू ठाकुर, कमल जायसवाल,विक्की कश्यप, दिनेश शर्मा, शुभतिवारी, सोनू शर्मा, तरुण, सोनू सिंह, प्रेम अवस्थी, आदित्य मिश्र, मुकेश, हिमांशु गुप्ता कृष्णा सिंह की मौजूद रहे।
तिरंगा थीम डेकोरेशन ने बिखेरी अद्भुत छठा
स्वतंत्रता दिवस के पूर्व पड़ने वाले इस श्रावण सोमवार को सम्पूर्ण मंदिर को तिरंगा थीम से डेकोरेट किया गया, इसके लिए मंदिर की समस्त दीवारों पर केसरिया, सफ़ेद एवं हरे रंग के कपड़ो से भव्य क्लॉथ डोरशन की गई। तीन रंग के पुष्पों एवं हरे रंग के बेल पत्रों की पुष्प सज्जा ने मंदिर की सुंदरता के कारण मंदिर की सुंदरता ने एक नया आयाम प्राप्त किया।