2018 बैच के आईएएस प्रशिक्षु अधिकारियों ने विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात की
लखनऊ , प्रशासनिक सेवाओं में बहुत ही प्रतिभा सम्पन्न लोग चयनित होकर आते हैं। गांव-देहात में रहने वाले लोगों के मन में इन सेवाओं के प्रति बहुत ही गहरा सम्मान का भाव है। उनके मन में यह धारणा गहरे से बैठी है कि यदि जिले के जिलाधिकारी से मिलेंगें। तो उनकी समस्याओं का निस्तारण अवश्य ही होगा। जन-गण-मन में प्रशासनिक सेवाओं के प्रति इस भाव को संजोए रखने की आवश्यकता है। यह बात हृदय नारायण दीक्षित, अध्यक्ष, विधान सभा, उ0प्र0 ने राजर्षि पुरूषोत्तम दास टण्डन हॉल में प्रशासनिक सेवाओं के बैच 2018 एवं भारतीय वन सेवा, 2016 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कही।
हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि जनप्रतिनिधि विधायक चुने जाने के बाद विधान सभा में सदस्य के रूप में नीति व विधान बनाने का कार्य करते हैं, परन्तु नीति एवं विधान के क्रियान्वयन करने का कार्य प्रशासनिक अधिकारियों का है। इसलिए प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी अतिमहत्वपूर्ण हो जाती है।
हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि अक्सर यह देखने को मिलता है कि प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों और राजनीतिज्ञों के बीच अच्छे सम्बन्ध नहीं होते, जबकि जनप्रतिनिधि संवैधानिक तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। भारतीय लोकतंत्र की व्यवस्था में अधिकारियों की तुलना में जनप्रतिनिधियों को श्रेष्ठ एवं वरीय माना गया है। यह भारतीय जनतंत्र की विशेषता है। लोकतंत्र की अंतर्निहित भावना एवं संविधान द्वारा प्रदत्त जनप्रतिनिधियों के अधिकार की भावना को शिरोधार्य करते हुए सम्मान का भाव बनाये रखना चाहिए। प्रशासनिक अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों के साथ उनके कर्तव्य निवर्हन के बीच मधुर एवं सरल सम्बन्ध स्थापित करने चाहिए। दोनों संस्थाएं महत्वपूर्ण हैं। उनके बीच संवाद मधुर एवं रसपूर्ण होना चाहिए।
उन्होंने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि ब्रिटिश काल के समय में मैक्स मूलर जैसे प्रसिद्ध ज्ञानवेत्ता एवं दार्शनिक हुए थे। उनके द्वारा भारत में आने वाले प्रशासनिक अधिकारियों को यहां के दर्शन, ज्ञान, सभ्यता एवं संस्कृति से सीख लेकर राष्ट्र निर्माण की तरफ उन्मुख होने का संदेश दिया था। उन्होंने कहा कि वर्तमान भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को भी भारतीय ज्ञान-दर्शन और संस्कृति से प्रेरणा लेकर अपने कर्तव्य बोध से जन सेवाओं के प्रति संकल्पबद्ध एवं संवेदनशील होना चाहिए।
हृदय नारायण दीक्षित ने भारतीय प्रशासनिक सेवा एवं भारतीय वन सेवा के प्रशिक्षुओं को आह्वान किया कि वे अपने आचरण एवं व्यवहार से भारत के जन-गण-मन की सेवा के प्रति अपने को तत्परशील बनाए रखे। उन्हें अपने सौपे गए दायित्व में उत्तरोतर सफलता मिलती रहे, इसके लिए शुभकामना दी।
इस अवसर पर उ0प्र0 प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान के अपर निदेशक संजय कुमार सिंह यादव, सत्र-समन्वयक संध्या भदौरिया, वित्त अधिकारी मनीष शुक्ल व उ0प्र0 विधान सभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने प्रशिक्षुओं को विधान सभा की कार्यपालिका पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर सभी प्रशासनिक अधिकारियों को विधान सभा से प्रकाशित मासिक पत्रिका ‘संसदीय दीपिका’ की एक-एक प्रति भी प्रदान की गयी।
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