सहानुभूति उपजने का मौका नहीं देगी पार्टी
ऐसे सांसदों को भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व की मंशा की भनक लग गई है। इसीलिए वे दबाव की राजनीति कर रहे हैं और केन्द्रीय नेतृत्व के खिलाफ बेवजह के मुद्दों को लेकर मोर्चा खोले हुए हैं। भाजपा नेतृत्व ने प्रदेश के 25 ऐसे सांसदों को चिह्नित किया है। जिनके खिलाफ उनके क्षेत्र की जनता में रोष है। ऐसे सांसदों का टिकट कटना तय माना जा रहा है। नेतृत्व के खिलाफ बिगुल फूंकने वाली बहराइच सांसद को बर्खास्त कर पार्टी उनके प्रति इस बार सहानुभूति उपजने का मौका नहीं देगी।
कुछ सांसदों के रवैये ने किया पार्टी नेतृत्व को असहज
यूपी में दलित वर्ग के सबसे ज्यादा 17 सांसद भाजपा पार्टी के पास ही हैं। ऐसे में किसी न किसी बहाने सांसदों, खासकर दलित सांसदों के पार्टी विरोधी कार्यों को केन्द्रीय नेतृत्व उचित नहीं मान रहा है। पिछले चार साल के कार्यकाल में कई भाजपा सांसदों के रवैये ने पार्टी नेतृत्व को असहज किया है। सहारनपुर में एक सांसद द्वारा वहां के एसएसपी को धमकाना, बाराबंकी की क्षेत्रीय सांसद का अपने ही जिलाधिकारी के खिलाफ मोर्चा खोलना, धौरहरा की सांसद का अपने ही पार्टी के महोली के विधायक से झगड़ा करना और निकाय चुनाव में कैसरगंज के सांसद के पार्टी प्रत्याशी के विरोध को पार्टी नेतृत्व ने इस बार संज्ञान में लिया है।
समाधान का रास्ता निकालने की कोशिश
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर ने बताया है कि पार्टी नेतृत्व नाराज सांसदों से बात कर समाधान का रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है। पार्टी के बड़े से लेकर छोटे कार्यकर्ता भी अनुशासन से बंधे है। इसे तोड़ने की इजाजत किसी को भी नहीं है।