…और भाग गया पीके पुलिस अधिकारी ने बताया कि यूपी पुलिस ने पटना के पाटलिपुत्र इलाके में पीके के घर पर छापा मारा लेकिन वह पहले ही भाग चुका था। छापेमारी में पता चला कि वह खुद को डॉक्टर बताकर वहां रहता था। दीघा थाने के थाना प्रभारी राजेश कुमार सिन्हा ने यूपी पुलिस की छापेमारी की पुष्टि की है।
अब तक छह गिरफ्तार पुलिस ने इस मामले में अब तक पटना से मां-बेटी की जोड़ी सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया है। यूपी पुलिस ने वाराणसी के सारनाथ थाना क्षेत्र के सेंट फ्रांसिस जेवियर स्कूल से जूली को पकड़ा था, जब वह हीना बिस्वास के स्थान पर नीट की परीक्षा दे रही थी, जबकि उसकी मां को बाद में गिरफ्तार किया गया। इनके पास से फर्जी आधार कार्ड, नीट परीक्षा-2021 की उत्तर पुस्तिका, एडमिट कार्ड, फोटो, दो मोबाइल फोन और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए। इसके बाद भाई अभय प्रकाश, केजीएमयू के डॉ. ओसामा शाहिद, खगडिय़ा बिहार निवासी विकास महतो, फोटोग्राफर रवि कुमार को गिरफ्तार किया गया है। वहीं दूसरी ओर हिना विश्वास और उनके पिता गोपाल बिस्वास की तलाश में एक टीम त्रिपुरा में छापेमारी कर रही है। जूली कुमारी के खिलाफ इंडियन पीनल कोड की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
गरीब और मेधावी छात्रों को बनाते हैं टूल नीट-यूजी परीक्षा में पकड़े गए सॉल्वर गैंग से जैसे-जैसे पूछताछ आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे नए नए खुलासे हो रहे हैं। वाराणसी में नीट की परीक्षा में सॉल्वर के रूप में पकड़ी गई बीएचयू के बीडीएस सेकेंड इयर की छात्रा जूली के बारे में पूछताछ में ये जानकारी निकल कर आई है कि यह गैंग किस तरह से काम करती थी। इस गैंग में दो टीमें काम करती हैं। एक कोचिंग संस्थानों में तैयारी कर रहे रईस अभ्यर्थियों पर नजर रखती है तो दूसरी पासआउट मेधावी लेकिन गरीब मेडिकल स्टूडेंट्स पर।
बदल देते थे छात्र की तस्वीर फिर साल्वर के जरिए पेपर कराने का सौदा तय होता है। उसके बाद तकनीक के सहारे से मूल अभ्यर्थी की तस्वीर के साथ सॉल्वर की तस्वीर को कुछ सॉफ्टवेयर के जरिए एडिट करके मिलता जुलता चेहरा तैयार किया जाता है।
कहीं नीलेश तो नहीं बन गया पीके सॉल्वर गैंग के छह सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद पीके की तलाश कर रही पुलिस ने बताया कि एसटीएफ साल 2016 में प्री-मेडिकल टेस्ट पेपर लीक के मामले में नीलेश को ढूंढ़ रही थी। 2016 में जब सारनाथ के लेधुपुर स्थित केंद्र में प्री-मेडिकल टेस्ट पेपर लीक हुआ था तो उसमें एक महिला समेत आठ आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था। उस मामले में नीलेश का नाम भी शामिल था। हालांकि, एसटीएफ नीलेश को गिरफ्तार नहीं कर पाई। पुलिस को शक है कि वही नीलेश अब पीके बनकर इस काम को अंजाम दे रहा है। यह भी आशंका है कि वह कई फर्जी आईडी और कई अन्य दस्तावेजों के सहारे अलग-अलग शहरों में शरण ले रहा है।