दो घंटे की हुई परीक्षा इस परीक्षा में सभी कक्षाओं की परीक्षा में 50 बहुविकल्पी प्रश्न पूछे गए। ये प्रश्न हिन्दी, अग्रेजी,गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान पर आधारित थे। यह परीक्षा दो घण्टे में संपन्न हो गई। सुबह समय 10.30 से दोपहर 12.30 तक चली। इसे बेसिक लाइन सर्वे का नाम दिया गया है।
छात्र-छात्राओं की वास्तविक संख्या का चलेगा पता शिक्षा विभाग के डीजी विजय किरण आनन्द के मुताबिक यह स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए ये जानना जरूरी है कि कौन सा इलाका या कौन सा स्कूल किस स्तर पर है। उसके बच्चे कितना जान पाये हैं। इस मूल्यांकन के बाद योजना बनाने में सहायता मिलेगी। साथ ही बीमारी के हिसाब से इलाज किया जा सकेगा। इस परीक्षा के जरिये ये भी पता चलेगा कि स्कूलों में छात्र-छात्राओं की वास्तविक संख्या कितनी है। ये शिकायत बार बार सामने आती रही है कि वास्तविक संख्या से कहीं ज्यादा बच्चों का स्कूलों में दाखिला दिखाया जाता है। परीक्षा को नकलविहीन कराना शिक्षा विभाग के लिए बड़ी चुनौती होगी। इसके लिए अधिकारियों की टीमों को जिलों में उतार गया जिन्होंने परीक्षा केन्द्रों का औचक निरीक्षण किया।
9 करोड़ से ज्यादा होंगे खर्च परीक्षा के लिए प्रति छात्र लगभग 15 रूपये के खर्च का आकलन किया गया है। इस तरह यदि 60 लाख बच्चे परीक्षा में शामिल होते हैं तो खर्च 9 करोड़ के पार भी निकल सकता है। परीक्षा के लिए प्रश्नपत्र और फिर उसकी ओएमआर शीट के परीक्षण के हिसाब से खर्च का आकलन किया गया है।
बनेगा नया रिकार्ड
यूपी बोर्ड की दसवीं और बारहवीं की परीक्षा में हर साल लगभग 50 लाख बच्चे शामिल होते हैं और वह भी पूरी परीक्षा के दौरान लेकिन, इस परीक्षा में एक ही साथ उससे ज्यादा बच्चे शामिल होंगे। इस तरह से शिक्षा विभाग के लिए ये एक नया रिकार्ड होगा।
यूपी बोर्ड की दसवीं और बारहवीं की परीक्षा में हर साल लगभग 50 लाख बच्चे शामिल होते हैं और वह भी पूरी परीक्षा के दौरान लेकिन, इस परीक्षा में एक ही साथ उससे ज्यादा बच्चे शामिल होंगे। इस तरह से शिक्षा विभाग के लिए ये एक नया रिकार्ड होगा।