जानकारी के मुताबिक, परीक्षा के बाद प्रदेश सरकार ने सामान्य वर्ग के लिए कटऑफ 65 प्रतिशत व आरक्षित वर्ग के लिए कटऑफ 60 प्रतिशत तय कर दी थी। इससे अभ्यर्थी नाराज हो गए और इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर कर दी।
जानिए क्या है पूरा मामला गौरतलब है कि बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 69 हजार शिक्षक भर्ती के लिए छह जनवरी को लिखित परीक्षा कराई गई थी। इन पदों के लिए करीब साढ़े चार लाख अभ्यर्थियों ने इम्तिहान दिया है। परीक्षा के बाद शासन ने भर्ती का कटऑफ अंक तय किया। इसमें सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी को 65 प्रतिशत व आरक्षित वर्ग को 60 फीसदी अंक पाना अनिवार्य किया गया। इसका अभ्यर्थियों के एक वर्ग खासकर शिक्षामित्रों ने कड़ा विरोध किया, साथ ही इसे हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में चुनौती दी। याचियों का कहना है कि 68500 शिक्षक भर्ती में जिस तरह सामान्य व ओबीसी का 45 और एससी-एसटी का कटऑफ 40 प्रतिशत अंक तय किए गए थे, उसी के अनुरूप कटऑफ घोषित हो। वहीं शासन का तर्क था कि 68500 शिक्षक भर्ती में दावेदार महज एक लाख से अधिक थे, जबकि 69 हजार शिक्षक भर्ती के लिए साढ़े चार लाख दावेदार हैं तो कटऑफ बढऩा तय है, तभी काबिल शिक्षक मिलेंगे। साथ ही सीटों से अधिक अभ्यर्थी सफल होने से उन्हें कोई लाभ नहीं होगा। मामला फिलहाल उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। बीते 12 सितंबर को लखनऊ में इसकी सुनवाई भी थी लेकिन छठी बार सुनवाई में भी सरकारी वकील पक्ष रखने के लिए नहीं पहुंचे। इसके बाद अभ्यार्थी बेसिक शिक्षा निदेशालय के बाहर धरने पर बैठ गए थे। बाद में पुलिस ने उन्हें लाठियों का सहारा लेकर वहां से हटाया था।