ख़ुद की ख़ुशी के लिए बचाता हूँ लोगों की ज़िन्दगी पत्रिका से खास बातचीत करते हुए मनोज निषाद ने बताया कि मैं ख़ुद की ख़ुशी के लिए लोगों की जिन्दगी बचाता हूँ। जब मैं 20 साल का था तभी से नैनी ब्रिज के नीचे यमुना नदी में नाव चलाने का काम करना शुरू किया और अब तक करता आ रहा हूँ। पहली बार किसी को पानी में मरते हुए देखा और उसकी जान नहीं बचा पाया। लोगों को मरते हुए देखा तो मन में तभी से जिंदगी बचाने के लिए सोच लिया था। पहले तैराकी सीखी और उसके बाद नाव चलाना सीखा। फिर शुरू किया जिन्दगी बचाने का काम।
1500 लोगों में से 900 लोगों की बचायी जान मनोज निषाद ने कहा कि नैनी यमुना ब्रिज से अब तक कुल 1500 लोग ने नदी में छलांग लगा चुके हैं, जिसमें से 900 लोगों की जान बचा चुंका हूं। गहरे पानी से उनकी जान बचाना बहुत मुश्किल का काम होता है, लेकिन लोगों को मरते हुए नहीं देख पाता हूँ। अभी भी लोगों की जान बचाने के लिए सुबह 7 बजे से लेकर शाम सात बजे तक नैनी युमना ब्रिज के नीचे नाव चलाने का काम करता हूँ।
घर का हूँ इकलौता चिराग मनोज निषाद ने बतया कि परिवार का इकलौता हूँ। घर का खर्च चलाने का एक मात्र साधन नाव चलाना है। यमुना नदी में नाव चलाकर घर का खर्च चलाता हूँ।
परिजनों के मन हमेशा रहता है डर नाविक ने कहा कि यमुना नदी में 60 फिट गहरे पानी में कूदकर लोगों की जान बचाने के काम को लेकर कभी-कभी घर वाले डर भी हो जाते हैं। गहरे पानी में कूदकर जान बचाने से जान का खतरा बना रहता है। इसीलिए पिता जी इस काम को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं। घर में माता-पिता के साथ पत्नी और एक बेटी है।
इन कारणों की वजह से करते हैं आत्महत्या मनोज निषाद ने बताया कि ज्यादातर लोग पारिवारिक परेशानी की वजह से आत्महत्या की कोशिश करते हैं। लड़के-लडकियाँ प्रेम में धोखा और परीक्षा में फेल होने की वजह से यह कदम उठा रहे हैं। 2 सालों से ज्यादातर लोग बेरोजगारी की वजह से तंग आकर आत्महत्या करने के लिए नदी में छलांग लगाया है।
जान बचाने के बाद करता हूँ मोटिवेट नाविक मनोज निषाद ने बताया कि जितने लोगों की अब तक जान बचाया हूँ सभी नदी से बाहर निकालने के बाद मोटिवेट करता हूँ। उनको संघर्ष जैसी कहानी बताता हूँ और दुबारा यह काम न करने की सलाह देता हूँ।
प्रशासन करें मदद मनोज निषाद ने कहा कि 13 सालों से मैं लोगों की जान बचाने का काम कर रहा हूँ लेकिन अब तक प्रशासन ने मदद नहीं की है। प्रशासन मांग है कि वह नाव की जगह सरकार की तरफ से स्टीमर दे, जिससे लोगों की जान बचाने में और मददगार साबित हो। नाव से जाते-जाते देरी हो जाती है इसीलिए स्टीमर होने डूबने वाले शख्स के पास जल्दी पहुंच सकूंगा। इसके साथ ही प्रशासन द्वारा एक दो टीम की तैनाती की जानी चाहिए।