1928 में पहली बार शुरू किया गया था गुरु दक्षिणा कार्यक्रम
बता दें कि अब तक संघ द्वारा गुरु दक्षिणा के आंकड़े नहीं दिए जा रहे थे। इन आंकड़ों को पूरी तरह संघ द्वारा गोपनीय रखा जाता था। जब 27 सितम्बर 1925 को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना हुई तो उसके बाद 1928 में पहली बार गुरु दक्षिणा कार्यक्रम शुरू किया गया था। बताया जा रहा है कि अब संघ का संगठन पूरे देश में फैला हुआ है। लाखों स्वयं सेवक इसमें भाग लेते हैं इसलिए अंदाज लगाया जाता है कि गुरु दक्षिणा में करोड़ों रुपए संघ के खाते में जमा किए जाते हैं। संघ और उसकी विभिन्न इकाईयों का वर्ष भर का खर्च इसी गुरु दक्षिणा के धन से वहन किया जाता है।
आर्थिक लेन-देन का हिसाब रखना बहुत जरूरी
लखनऊ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ कार्यालय के कार्यकर्ताओं द्वारा बताया जा रहा है कि गुरु दक्षिणा देने वालों के लिए अब आईडी, ई-मेल और आधार नंबर अनिवार्य कर दिया है। इस पर विभाग प्रचारक बैरिस्टर ने कहा है कि आज के जमाने में किसी भी आर्थिक लेन-देन का हिसाब रखना बहुत जरूरी हो गया है। यह सब मालूम होना होना चाहिए कि कहां से कितना धन आया है। देश के कानून और अर्थनीति के हिसाब से संघ ने भी अपनी व्यवस्था निर्धारित की है।
चेक या ड्राफ्ट अनिवार्य
उन्होंने दावा किया कि नई व्यवस्था में भी जानकारियां दाता और व्यवस्था विभाग के लोगों के बीच ही रहेंगी। इसके बाहर किसी को इसकी जानकारियां नहीं दी जाएंगी। अगर गुरु दक्षिणा में किसी को बड़ी रकम देनी हो तो उसके लिए चेक या ड्राफ्ट अनिवार्य किया गया है। आप गुरू दक्षिणा सीधे आरएसएस के बैंक खाते में भी दे सकते हैं।