बता दें कि इससे पहले नोएडा में एक रैली के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री व आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी यूपी को चार भाग में बांटने की बात कही थी। केजरीवाल ने कहा था, “UP एक बड़ा राज्य है, छोटे राज्य में विकास आसान होता है, इसलिए स्थानीय ज़रूरत को पूरा करने के लिए हम उत्तर प्रदेश को अवध, बुंदेलखंड, पुर्वांचल व पश्चिम में बांटने की मांग का समर्थन करते हैं, न सिर्फ समर्थन, हम इसके लिए संघर्ष भी करेंगे.” इस रैली के दौरान शत्रुघन सिन्हा व यशवंत सिन्हा भी मौजूद थे।
संजय सिंह के मुताबिक, मौजूदा सरकार ने यूपी की स्थिति पहले से भी ज्यादा खराब कर दी है। वहीं महागठबंधन को लेकर उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी इसमें शामिल नहीं होगी। एनसीआर में सीट की बात वह बोले कि इस पर भी अभी फैसला नहीं हुआ है। इसके अलावा उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि डीडल-पेट्रोल के दाम बढ़ने का कारण मोदी सरकार की गलत नीतियां हैं। नोटबंदी भी जल्दबाजाी भरा फैसला था। कितना काला धन वापस आया है। ये सरकार नहीं बता पा रही है।
प्रेसवार्ता के दौरान सांसद संजय सिंह ने प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा उन्होंने कहा गन्ना किसानों का 11 हजार करोड़ रुपया बकाया है, योगी सरकार उनका भुगतान कराने के बजाय गन्ना न उगाने की बात कह रही है। योगी सरकार ने किसानों के जले पर नमक छिड़का है। सीएम योगी ने प्रदेश के बेरोजगारों की योग्यता का मजाक उड़ाया है | उत्तर प्रदेश का नौजवान आगामी चुनाव में भाजपा की योग्यता और औकात बताने के लिए तैयार है। पेट्रोल, डीजल की बढ़ी हुई दरों पर संजय सिंह ने कहा कि ये दरें मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण बढ़ी है, महगाई चरम पर है देश की जनता बेहद परेशान है।
क्यों होने चाहिए 4 राज्य, गिनाए ये कारण उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को नियंत्रित करने की प्रशासनिक चुनौती को कम नहीं आँका जा सकता है। 18 प्रशासनिक प्रभाग, 75 जिले और एक लाख से अधिक गांवों के साथ, उत्तर प्रदेश भारत में पांचवां सबसे बड़ा राज्य है और जनसंख्या के दृष्टिकोण से सबसे बड़ा राज्य है। यदि इसे एक स्वतंत्र देश बनाया गया, तो यह दुनिया का पांचवां सबसे अधिक आबादी वाला देश होगा।
-उत्तर प्रदेश में 2,40,928 वर्ग किलोमीटर में फैले 70 से अधिक जिलें हैं व 97,942 गांव हैं। 20 करोड़ से अधिक जनता यानी भारत की 16% आबादी है, यह सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। इसमें गरीबी रेखा से नीचे की सबसे बड़ी संख्या है – 4.8 करोड़ से अधिक या सबसे गरीब 22% से अधिक हैं।
-उत्तर प्रदेश युगांडा देश जितना बड़ा है, आबादी के दृष्टिकोण से ब्राजील के बराबर है व रवांडा और बेनिन के सामान प्रति व्यक्ति आय है। -बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर जी ने अपनी पुस्तक ‘थॉट्स ऑन लिंग्विस्टिक स्टेट्स’ के माध्यम से यूपी को तीन राज्यों में विभाजित करने का विचार प्रस्तावित किया – उन्होंने मेरठ को पश्चिमी क्षेत्र की राजधानी, इलाहाबाद को पूर्वी क्षेत्र की राजधानी और कानपुर को केंद्रीय क्षेत्र की राजधानी के रूप में तीन राज्यों के निर्माण का सुझाव दिया था।
-यूपी की विकास दर राष्ट्रीय औसत विकास दर से काफ़ी कम है छोटे प्रदेश होने से विकास दर में शीघ्र वृद्धि होगी। जहां तक यूपी की वृद्धि का सवाल है, राज्य आर्थिक विकास के मामले में काफ़ी पीछे है। राज्य के सामाजिक विकास संकेतक समान निराशाजनक हैं।
-भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एक अध्ययन से पता चला कि यूपी में 29.33% आबादी गरीबी रेखा के नीचे है, ग़रीबी रेखा की सूची में उत्तर प्रदेश 20वे स्थान पर है, राज्य राष्ट्रीय औसत से 21.92 % (एमआरपी खपत के आधार पर) के नीचे है।
-2011 की जनगणना के अनुसार, यूपी में केवल 27.3% लोगों के पास नल का पानी है, जबकि 35.7% लोगों को शौचालय की सुविधा हैं जो क्रमश: 43.5 % और 46.9% के राष्ट्रीय औसत से काफ़ी नीचे हैं।