जीका वायरस को लेकर ग्लोबल इमरजेंसी घोषित होने के बाद एक नया मामला सामने आया है। यूएस में सेक्स के जरिए जीका वायरस के ट्रांसफर होने का पहला मामला सामने आया है।
जीका वायरस को लेकर ग्लोबल इमरजेंसी घोषित होने के बाद एक नया मामला सामने आया है। यूएस में सेक्स के जरिए जीका वायरस के ट्रांसफर होने का पहला मामला सामने आया है। इससे पहले मच्छर के काटने से ये बीमारी फैल रही थी। वहीं, दूसरी ओर भारत की एक कंपनी ने दुनिया का पहला जीका वायरस के टीका बनाने का दावा किया है। बता दें कि मंगलवार को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने ग्लोबल इमरजेंसी डिक्लेयर की है।
डलास काउंटी हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज डिपार्टमेंट के मुताबिक एक जीका पीड़ित एक शख्स वेनेजुएला से वापस टेक्सास आया था। यहां उसने सेक्स किया। वेनेजुएला में जीका वायरस फैला हुआ है। सेक्स से जीका वायरस के एक इंसान से दूसरे इंसान में जाने की बात कही जा रही है। इस तरह का केस टेक्सास में सामने आया है।
टेक्सास में सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने इस रिपोर्ट के बाद उन अमेरिकन्स को सलाह दी है, जो जीका वायरस से प्रभावित जगहों की यात्रा करते हैं। अधिकारिक जानकारी के मुताबिक ऐसे लोगों को सेक्स के दौरान कंडोम पहनने की सलाह दी गई है।
भारतीय कंपनी ने किया टीका बनाने का दावा
तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद की एक दवा कंपनी ने बुधवार को जीका वायरस के खिलाफ दुनिया का पहला टीका विकसित करने का दावा किया। ‘बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड’ का कहना है कि उसने पहले से ही जीका टीका के लिए पेटेंट दाखिल कर दिया है। दवा कंपनी के प्रमुख डॉ. कृष्णा एल्ला ने बताया, ‘जीका पर, हम विश्व की पहली ऐसी दवा कंपनी है, जिसने नौ महीने पहले ही इसके टीके के लिए पेटेंट आवेदन कर दिया है।’ कंपनी ने अपने वैज्ञानिकों द्वारा बनाए गए टीके के मनुष्य और जानवर पर परीक्षण के लिए भारत सरकार से अनुमति मांगी है।
जीका से होता है माइक्रोसेफेली नामक रोग
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा सोमवार को घोषणा किए जाने के एक दिन बाद भारतीय कंपनी ने यह दावा किया है। डब्ल्यूएचओ ने सोमवार को जीका वायरस को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक खतरा बताया था और कहा था इससे पूरी दुनिया को एकजुट होकर लड़ना होगा। इस वायरस के संक्रमण से गर्भ में पल रहे शिशु को माइक्रोसेफेली नामक रोग होता है, जिसमें उसके मस्तिष्क का विकास नहीं हो पाता है।
भारत में जीका वायरस का अब तक कोई मामला नहीं
यूनिसेफ के अनुसार, ब्राजील में 22 अक्टूबर, 2015 से 26 जनवरी, 2016 के बीच नवजात बच्चों में माइक्रोसेफेली के 4,000 से अधिक मामले सामने आए हैं, जबकि वर्ष 2014 में पूरी दुनिया में इसके महज 147 मामले देखने को मिले थे। हालांकि, भारत में जीका वायरस का कोई भी मामला सामने नहीं आया है।
प्रेग्नेंट महिलाओं पर जीका का सबसे ज्यादा असर
जेनेवा में संगठन की आपात बैठक हुई जहां इस खतरनाक वायरस के फैलाव को रोकने संबंधी कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में इसको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खतरनाक बताते हुये वैश्विक स्वास्थ आपात की घोषणा की गई। जीका वायरस का सबसे ज्यादा असर गर्भवती महिलाओं पर पड़ रहा है और इसे अजन्में बच्चों के लिये महामारी के रूप में देखा जा रहा है। इस वायरस की वजह से भ्रूण में ही मस्तिष्क का विकास रूक जाता है।
20 देशों में फैल चुका है जीका
जीका वायरस की चपेट में ब्राजील समेत लगभग 20 अन्य देश आ चुके हैं, जहां लाखों लोग इसके संक्रमण के खतरे के दायरे में हैं। चान ने सोमवार को कहा कि जीका का प्रसार बहुत तेजी से हो रहा है और जल्द ही इससे निपटने के कोई कारगर उपाय नहीं किए गए तो साल के अंत तक 40 लाख अन्य नए मामले सामने आ सकते हैं।