मुख्य अतिथि अर्जुन अवार्ड से पुरस्कृत रचना गोविल (कार्यकारी निदेशक सांई, लखनऊ) ने छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि चुनौतियों से जूझना होगा। नारियों व बेटियों को घरों में कैद करने के दिन लद गये। समय बदल रहा है। देश-दुनिया को अपनी शक्ति से परिचित कराना होगा। शोहदों के सामने गिड़गिड़ाने के बजाय उनके खिलाफ फाइट करनी होगा।
विशिष्ट अतिथि महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि भारतीय नारी शालीनता व संस्कार के लिये जानी जाती हैं। सृष्टि को संवारने की जिम्मेदारी नारियों के ही कंधों पर है। 21वीं सदी में बेटियों ने अपना परचम लहराया है।महापौर ने कहा कि हमारे यहां नारियों को किसी भी प्रकार की यातनाएं नहीं दी गयीं। गुलामी के दौर में नारियों को घरों में बंद रखने की प्रथा का चलन बढ़ा, लेकिन अब नारियों को डरने की जरूरत नहीं है। परिषद का यह मिशन साहसी आयोजन बेटियों के आत्मबल को बढ़ाने के लिये शानदार कार्यक्रम रहा।
परिषद के अखिल भारतीय विश्वविद्यालय कार्य प्रमुख हरि बोरिकर ने कहा कि प्रत्येक नारी के भीतर एक झांसी की रानी है। उस झांसी की रानी को जागृत करना होगा। गुंडों को सबक सीखाने के लिये ही मिशन साहसी अभियान चलाया गया।
शिक्षण संस्थानों में दिया जाए आत्मरक्षा का प्रशिक्षण
कार्यक्रम में शामिल छात्राओं ने एक स्वर में कहा कि अपने संस्थान के प्रशासन से मांग करेंगे कि सप्ताह में दो दिन हम लोगों को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दी जाए, ताकि गंदी मानसिकता के खिलाफ हम लोग तैयार हो सकें। छात्राओं ने बताया कि ऐसा आयोजन उन्होंने पहली बार देखा। एबीवीपी के इस कार्यक्रम के तहत लविवि के मैदान में लखनऊ महानगर के 64 अलग-अलग शैक्षणिक संस्थानों के पांच हजार से ज्यादा छात्राओं ने आत्मरक्षा के तरीकों का प्रदर्शन किया।
मिशन साहसी के लिये शिक्षण संस्थानों में 12 से 20 अक्टूबर तक जाकर नि:शुल्क पंजीकरण कराए गए। संस्थान के अधिकारी से बात करके वहां की छात्राओं को इस अभियान में सहभागी होने के लिये प्रेरित किया। आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने के लिये 100 प्रशिक्षक तैनात थे। इस अभियान को लेकर परिषद बकायदा 22 से 28 अक्टूबर तक शिक्षण संस्थानों में जाकर प्रशिक्षण देने का काम किया। पूरे लखनऊ महानगर में कक्षा छह से लेकर परास्नातक की 10 हजार छात्राओं को आत्मरक्षा का गुर सिखाया गया ।