ये भी पढ़ें- कांग्रेस में जबरदस्त विरोध, प्रियंका गांधी वाड्रा का दौरा रद्द दारापुरी को नहीं मिला नोटिस- नोटिस के सवाल पर पूर्व आईपीएस अधिकारी आरएस दारापुरी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि उन्हें केवल ऐसी खबरें मिली हैं कि हिंसा में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की भरपाई के लिए उन्हें रिकवरी नोटिस जारी किया गया है। जब्कि वर्तमान में उन्हें नोटिस मिला ही नहीं है। हालांकि ऐसा कोई नोटिस मिलने की स्थित में उन्होंने उच्च न्यायालय में जाने का फैसला किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि बीते वर्ष 30 दिसंबर को उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया गया था जिसके जवाब में उन्होंने कहा था कि वह 19 दिसंबर को वारदात के दिन वब घर में नजरबंद किए गए थे। ऐसे में उनके खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप पूरी तरह से गलत है। उधर, इसी मामले में आरोपी बनाई गई सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जाफर ने भी कहा कि सरकार अगर उन्हें रिकवरी नोटिस जारी करती है तो वह उसे अदालत में चुनौती देंगी। इनके अतिरिक्त रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शोएब, सामाजिक कार्यकर्ता रोबिन वर्मा, दीपक कबीर और पवन राव अंबेडकर भी शामिल हैं।
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सदफ ने की मदद, फिर भी हुए गिरफ्तार-सदफ ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार असंवैधानिक तरीके से लोगों को रिकवरी नोटिस भेज रही है। सदफ ने कहा कि उनके खिलाफ हिंसा भड़काने के कोई सबूत नहीं हैं, बल्कि फेसबुक पर पड़ा वीडियो इस बात का गवाह है कि उन्होंने पुलिस को बताया था कि दंगाई कौन हैं। सदफ ने कहा कि इसके बावजूद पुलिस ने उन अराजक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय खुद उन्हें ही गिरफ्तार कर गंभीर प्रताड़ना दी।