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सीएए हिंसा में मिले रिकवरी नोटिस के खिलाफ उच्च न्यायालय जाएंगे आरोपी

locationलखनऊPublished: Feb 20, 2020 08:31:49 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

बीते वर्ष 19 दिसंबर को राजधानी लखनऊ में हुए नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन व हिंसा से नुकसान के लिए जारी किए गए रिकवरी नोटिस को उच्च न्यायालय में चुनौती दिए जाने का फैसला किया गया है।

Supreme Court

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लखनऊ. बीते वर्ष 19 दिसंबर को राजधानी लखनऊ में हुए नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन व हिंसा से नुकसान के लिए जारी किए गए रिकवरी नोटिस को उच्च न्यायालय में चुनौती दिए जाने का फैसला किया गया है। बीते सप्ताह अपर जिलाधिकारी (पूर्वी) केपी सिंह ने इस सिलसिले में 28 लोगों को वसूली नोटिस जारी किया था। यह नोटिस लखनऊ के परिवर्तन चौक में हुए हिंसक प्रदर्शन में बाद सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले चिन्हित लोगों को भेजा गया था। इनसे कुल 63 लाख रुपए की वसूली होनी है। 20 मार्च तक जमा करने में असफल रहने पर लोगों की संपत्ति कुर्क कर इस नुकसान की भरपाई की जाएगी। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ-साथ पूर्व आईपीएस अधिकारी आरएस दारापुरी को भी रिकवरी नोटिस जारी किया गया है। इनका कहना है वे इसके खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
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दारापुरी को नहीं मिला नोटिस-

नोटिस के सवाल पर पूर्व आईपीएस अधिकारी आरएस दारापुरी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि उन्हें केवल ऐसी खबरें मिली हैं कि हिंसा में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की भरपाई के लिए उन्हें रिकवरी नोटिस जारी किया गया है। जब्कि वर्तमान में उन्हें नोटिस मिला ही नहीं है। हालांकि ऐसा कोई नोटिस मिलने की स्थित में उन्होंने उच्च न्यायालय में जाने का फैसला किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि बीते वर्ष 30 दिसंबर को उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया गया था जिसके जवाब में उन्होंने कहा था कि वह 19 दिसंबर को वारदात के दिन वब घर में नजरबंद किए गए थे। ऐसे में उनके खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप पूरी तरह से गलत है। उधर, इसी मामले में आरोपी बनाई गई सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जाफर ने भी कहा कि सरकार अगर उन्हें रिकवरी नोटिस जारी करती है तो वह उसे अदालत में चुनौती देंगी। इनके अतिरिक्त रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शोएब, सामाजिक कार्यकर्ता रोबिन वर्मा, दीपक कबीर और पवन राव अंबेडकर भी शामिल हैं।
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सदफ ने की मदद, फिर भी हुए गिरफ्तार-
सदफ ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार असंवैधानिक तरीके से लोगों को रिकवरी नोटिस भेज रही है। सदफ ने कहा कि उनके खिलाफ हिंसा भड़काने के कोई सबूत नहीं हैं, बल्कि फेसबुक पर पड़ा वीडियो इस बात का गवाह है कि उन्होंने पुलिस को बताया था कि दंगाई कौन हैं। सदफ ने कहा कि इसके बावजूद पुलिस ने उन अराजक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय खुद उन्हें ही गिरफ्तार कर गंभीर प्रताड़ना दी।
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