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लखनऊ में ऋचा चड्ढा ने उठाया उन्नाव का मुद्दा, कहा हर फील्ड में उन्नति कर रही महिलाएं फिर भी नहीं है सेफ्टी

locationलखनऊPublished: Apr 13, 2018 07:18:30 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

बॉलीवुड की शानदार अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने अपने करियर, उन्नाव रेप केस, महिलाओं की सेफ्टी और राजनीति के बारे में अपनी राय रखी

richa chadha
करिश्मा लालवानी

लखनऊ. बॉलीवुड की शानदार अभिनेत्री ऋचा चड्ढा की फिल्म ‘दासदेव’ 20 अप्रैल को सिनेमा घरों में दस्तक देगी। चंद्र चट्टोपाध्याय की क्लासिक नॉवल पर सुधीर मिश्रा द्वारा डायरेक्ट की गयी इस फिल्म में ऋचा पारो के किरदार से ऑडियंस का मनोरंजन करेंगीं। नॉवल कॉन्सेप्ट पर बनी इस फिल्म को नए तरीके से बनाया गया है। फिल्म के प्रमोशन में लखनऊ आईं ऋचा चड्ढा ने पत्रिका को दिए इंटरव्यू में न सिर्फ फिल्म से जुड़ी बातें बताईं बल्कि अपने करियर के बारे में भी बात की। इसी के साथ उन्होंने उन्नाव रेप केस और महिलाओं की सेफ्टी पर भी अपनी बात रखी।
सबसे पहले हम आपको बता दें की ‘दासदेव’ एक राजनीतिक फिल्म है, जिसमें ऋचा ‘पारो’ के किरदार में हैं और इनके अपोजिट देव का रोल प्ले कर रहे हैं अभिनेता राहुल भट्ट। इसी के साथ इस फिल्म में अदिति राव हैदरी, विनित सिंह, सौरभ शुक्ला और विपिन शर्मा भी मुख्य भूमिकाओं में हैं। पॉलिटिकल कॉनसेप्ट पर बुनी गयी दासदेव नए जमाने की लव स्टोरी है, जो कि ‘देवदास’ और ‘हेमलेट’ के कॉनसेप्ट की भी झलक देखने को मिलेगी।
राइटिंग का है शौक

बचपन से ही एक्टर बनने का ख्वाब देखने वाली ऋचा को राइटिंग का भी शौक है। जब उनसे पूछा गया कि एक्टिंग के अलावा वे और किस प्रोफेशन में अपना हाथ आजमाना चाहती हैं, तो उनका जवाब था राइटिंग। लिखने का शौक रखने वालीं ऋचा एक बुक पर काम भी कर रही हैं, जिसका कॉनसेप्ट ट्रैवलिंग बेस्ड है। ऋचा बताती हैं कि आने वाले सालों वह खुद को एक्टर के साथ-साथ एक राइटर के तौर पर भी स्थापित करना चाहती हैं।
पॉलिटिक्स में है दिलचस्पी

कम ही एक्टर्स ऐसे होते हैं, जिन्हें राजनीति में दिलचस्पी होती है। ऋचा चड्ढा उन एक्टर्स में से एक हैं। लेकिन बावजूद इसके वे राजनीति में आने से कतराती हैं। कारण पूछे जाने पर ऋचा बताती हैं कि राजनीति एक एक्टर का करियर आर्टिस्ट के तौर पर खत्म कर देता है। बात सही भी है। एक आर्टिस्ट का काम होता है ऑडियंस के टेस्ट के हिसाब से उन्हें अच्छा फिल्मी पैकेज देना। ऑ़डियंस की भी आदत हो जाती है एक्टर को बड़े पर्दे पर देखना। इसलिए जब एक आर्टिस्ट एक्टिंग से पॉलिटिक्स में छलांग लगाता है, तो उसका करियर वहीं रूक जाता है। दोबारा उसे या तो काम मिलता नहीं है या फिर मिलता भी है, तो मनपसंद रोल नहीं ऑफर होते।
महिलाओं को रोकने से ज्यादा जरूरी है लड़कों को सबक सिखाना

आज के जमानेे महिलाएं भले ही हर फील्ड में तैनात प्रगति कर रही हैं लेकिन फिर भी उनकी सेफ्टी पर अब भी सवाल उठते हैं। इस बात का ताजा उदाहरण है उन्नाव रेप केस, जिसमें आम जनता से लेकर बॉलीवुड सेलेब्स तक ने पीड़िता के लिए आवज उठाई। ऋचा चड्ढा ने भी पीड़िता को न्याय दिलाने और अन्याय पर लगाम लगाने को लेकर आवाज उठाई थी। इस मामले पर ऋचा ने कहा कि राजनीति मतलब सही और गलत के बीच का फर्क। लेकिन आज के जमाने में संसद में क्रिमिनल्स की तादाद ज्यादा है। हमें संसद में क्रमिनिल्स नहीं बल्कि वे लोग चाहिए, जो जनता के खिलाफ नहीं पर उनके हक के लिए लड़ सकें। देश तभी सही मायने में आगे बढ़ेगा। उन्होंने ये भी कहा कि लड़कियों को शाम 7 बजे तक घर की चार दीवारी में वापस आने को कहने की बजाय लड़कों को तमीज सिखानी चाहिए। हम महिलाओं से सलीके की उम्मीद करने की बजाय पुरूषों से क्यों नहीं कहते कि वे महिलाओं का सम्मान करना सीखें। अगर ऐसा हुआ, तो देश का चेहरा अपनेआप बदल जाएगा।
नीना गुप्ता को मानती हैं इंस्पिरेशन

हर शख्स अपनी जिंदगी में किसी न किसी शख्स से प्रेरित जरूर होता है। ऋचा चड्ढा की जिंदगी में वो शख्स हैं अभिनेत्री नीना गुप्ता। ऋचा का मानना है कि जिस तरह उम्र के इस पड़ाव पर वे खुद को फिट रखती हैं और हर दिन कुछ न कुछ नया सीखने का प्रयास करती हैं, वो किसी भी यंग एक्टर के लिए कुछ सीखने वाली बात है।
लखनऊ में है कुछ बात

नवाबों की नगरी का बॉलीवुड से खास कनेक्शन है। तभी तो जो भी स्टार यहां आता है, यहां के रंग में बस कर रह जाता है। जब ऋचा से पूछा गया कि इस शहर के बारे में उन्हें क्या खास लगता है, तो उनका जवाब था यहां का कल्चर और बीते कुछ सालों में लखनऊ की तस्वीर जिस तरह बदली है, वो काबिले-तारीफ है।
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