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मंदिर में गुरु और जेल में जेलर सुधारने का काम करते हैं :विशोक सागर

locationलखनऊPublished: Aug 25, 2019 07:50:07 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

लखनऊ जेल में जैन मुनि का प्रवचन पावन भूमि है उत्तर प्रदेश-

Adarsh kaaraagaar  Jail

मंदिर में गुरु और जेल में जेलर सुधारने का काम करते हैं :विशोक सागर

लखनऊ। आसमान की शोभा शून्य से नहीं सितारों से है देश की शोभा का गददारों से नहीं वफादार से है और इंसानों की शोभा शुभ विचारों से है’’ कुछ इन्ही पक्तियों के साथ जैन मुनि विशोक सागर महाराज लखनऊ की आदर्श कारागार जेल में कैदियों को प्रवचन सुनाये। महाराज ने कहा कि अपना देश सभी देशों में सर्वोत्तम देश है यह महान देश है यहां बहुत बड़े उद्योग व्यापार हैं। इसकी वजह से महान नहीं है बल्कि इस देश में अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया है। भगवान महावीर, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम, गुरु नानक जी आज जैसे महापुरुष इसी भारत भूमि पर जन्म लिया है।
जिस कारण हमारा देश सर्वोत्तम माना जाता है। विश्व में 211 देश हैं जिनमें भारत ही एक ऐसा देश है जिस को भारत माता की संज्ञा दी गई है अनेक ऋषि मुनि हुए हैं जो भारत की जन्म भूमि पर ही जन्म लिया है। हम सब भारतवासी सौभाग्यशाली हैं। भारत देश का उत्तर प्रदेश सबसे श्रेष्ठ प्रदेश है इसी प्रदेश जैन धर्म में दो शास्वत भूमि है एक अयोध्या और दूसरी सम्मेद शिखर। अयोध्या में कई तीर्थंकरों ने जन्म लिया तो शिखर में मोक्ष को प्राप्त हुए। पावन नगरी बनारस में चार तीर्थंकरों ने जन्म लिया। अयोध्या में श्री राम ने जन्म लिया तो मथुरा में श्रीकृष्ण ने। इस कारण यह पावन प्रदेश है यह पावन भूमि है।
उन्होंने कहा कि संसार एक जेल है इसी में व्यक्ति का जन्म होता है जो संसार से मुक्त हो जाता है वही इस संसार रूपी जेल से छूट जाते हैं। हम संसारी रूपी जेल में बुराई जब तक नहीं छोड़ेंगे तब तक इस जेल से छुटकारा मिलने वाला नही है। कैदी भइयों से कहा कि आप भी जेल में हैं हम भी जेल में हैं। बस फर्क इतना है आप बंधन में है और हमें बंधन करके लाया गया है। आप अपराध के साथ है तो संत अपराध मुक्त होकर आए है। उन्होंने कहा कि बंधन में जन्म लेना बुरा नहीं, बंधन में अज्ञानता मर जाना बुरा है।
उन्होंने कहा कि कृष्ण का जन्म जेल में हुआ पर ऐसे काम किए कि राज पद को प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि पाप से घृणा करो पापी से नहीं। रामायण लिखने वाले बाल्मीकि जी रामायण लिखने से पहले एक डाकू थे लेकिन ऐसा परिवर्तन आया ईश्वर की कृपा से रामायण लिख डाली। उन्होंने कहा कि साधू लकड़ी की नाव की तरह होता है जो सबकी नैया पार कराता है। साधु पत्थर की नाव का काम नहीं करता जो लोगों को डूबो दे। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम पुरुषों में उत्तम थे जीवन में मर्यादा कभी नहीं छोड़ी दशरथ जी ने 14 वर्ष का वनवास दिया तो खुशी से स्वीकार कर लिया। ऐसे आदर्श हमारे जीवन में आ जाएं तो यहां आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि आज संसार में विवाद है तो जर, जोरू और जमीन के कारण है। इसी कारण जेल में लोगों को वर्षों वर्षों जीवन बिताना पड़ता है। उन्होंने सभी कैदियों से संकल्प करवाया कि हम सुधार गृह में आए हैं तो हम सुधरने आए हैं। हम दोबारा ऐसा नहीं करेंगे जिसके कारण हमें यहां आना पड़े।
उन्होंने कहा कि मंदिर में गुरु और जेल में जेलर सुधारने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान शंकर गले में सर्प डालने का उद्देश्य है कि दुष्ट को भी गले लगाइए। भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन को उठाया तो लोगों को बचाने के लिए। ऐसा ही हम सबमें भाव आ जाये। संचालन कर रहे हैं संजीव जैन ने कहा कि अहिंसा के मूल मंत्र से हम अपना कल्याण कर सकते है।प्रवचन में उपस्थित की बड़ी संख्या में कैदियों ने भी सत्संग का लाभ लिया। एक बंदी गिरीश चंद्र वर्मा ने महाराज जी के चरणों में एक कविता ‘‘जैन धर्म का कर लो वंदन ऐसे संत का अभिनंदन करती कारा है’’ सुनाई। तो लोगों ने जारदार तालियां बजाकर स्वागत किया।
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