उन्होंने योगी सरकार के भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए कहा कि कृषि प्राविधिक सहायक में 2059 भर्तियों के लिए 21 जुलाई 2018 में फॉर्म आया था। लगभग 55 हजार बच्चों ने फॉर्म भरा, 19 फरवरी 2019 को एग्जाम हुआ, 8-10 धरने और कई सोशल मीडिया आंदोलन के बाद 18 सितंबर 2020 को रिजल्ट आया, जिन अभियर्थियों का चयन हुआ उनसे 29 अक्टूबर तक डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन करा लिया गया, परन्तु एक महीने हो गए कृषि निर्देशालय की तरफ से अब तक चयनित अभ्यर्थियों की लिस्ट जारी नहीं की है। कृषि विभाग कई बार बोल चुका है कि उनके यहाँ कर्मचारियों की कमी है।
कहा कृषि प्राविधिक सहायक का काम होता है किसानों को उनकी योजनाओं से अवगत कराना, सही बीज उन तक पहुंचाना, Soil Testing Lab में भेजना और भूमि संरक्षण विभाग में काम करना। उन्होंने ने युवाओं का सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश में अधिकतर बच्चे कृषि परिवार से है। एग्रीकल्चर विभाग में वैसे भी 4-6 सालों में एक भर भर्ती निकलती है, लेकिन फिर भी कोई भर्ती नहीं हो पाती। उन्होंने योगी सरकार से सवाल किया कि आखिर अभियर्थियों की क्या गलती है कि एक भर्ती इतने लंबे समय तक लटका दी जाती है। गन्ना पर्यवेक्षक की 2016 में निकली भर्ती का जिक्र करते हुए कहा कि 6 अक्टूबर 2016 में फॉर्म आया था, तीन साल बाद 31 अगस्त 2019 में एक्जाम हुआ, 6 दिसम्बर 2019 को रिजल्ट आया, इंटरव्यू 23 जनवरी 2020 को पूर्ण हुआ, परन्तु इस भर्ती का अंतिम परिणाम जानबूझकर कर रोका जा रहा है, ताकि 2022 के चुनाव से पहले भर्ती कराकर युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर सके। उन्होंने कहा सरकार गन्ना किसानों की इतनी बात करती है लेकिन वो सब सिर्फ एक दिखावा है। 437 गन्ना पर्यवेक्षकों की भर्ती योगी सरकार साढ़े तीन साल के कार्यकाल में नहीं कर पाई।
वंशराज दुबे ने आगे कहा योगी सरकार प्रदेश में भर्तियों को लंबित कर युवाओं की प्रतिभाओं को दबाने का प्रयास कर रही है, ताकि इन विभागों को अडानी और अम्बानी के पास गिरवी रख सके। आने वाले दिनों में अडानी और अंबानी तय करेंगे कि गरीब किसानों के बच्चों को नौकरियां मिलेंगे या फिर बड़े पूंजीपतियों के बच्चों को मिलेगी।