यूपी सरकार को होगा करोड़ों का नुकसान माल ढुलाई पर ट्रकों के पहिए थम जाने से यूपी सरकार को प्रतिदिन करोड़ों का नुकसान होगा। सूत्रों की मांगे तो यह हड़ताल इतनी जल्दी समाप्त होने वाली नहीं दिख रही है। सरकार भी ट्रांसपोटर््स की मांगें इतनी जल्दी मानने वाली नहीं है।
बढ़ेगी महंगाई आम लोगों पर होगा ये असर इस समय बरसात का मौसम है। बारिश के कारण वैसे ही फल और सब्जियां महंगी हैं, अब ट्रक और बस ऑपरेटरों अनिश्चतकालीन हड़ताल पर जाने से महंगाई और बढऩे की संभावना काफी बढ़ गई है। ट्रक हड़ताल का सीधा असर आम आदमी पर होता हैं, क्योंकि ट्रक हड़ताल से दूध-सब्जी और बाकी सामानों की सप्लाई बंद हो जाएगी। ऐसे में डिमांड बनी रहेगी और सप्लाई घट जाएगी। लिहाजा आम आदमी को इन चीजों के लिए ज्यादा दाम चुकाने होंगे।
ये हैं ट्रांसपोर्ट्स की मांगें
-ट्रांसपोर्ट्स ने मांग की है कि डीजल की कीमतों को जीएसटी के दायरे में लाया जाए।
-या फिर मौजूदा समय में इन पर केन्द्रीय व राज्यों की तरफ से लगने वाले टैक्स को कम किया जाए।
-टोल कलेक्शन सिस्टम को भी बदला जाए क्योंकि टोल प्लाजा पर र्इंधन और समय के नुकसान से सालाना 1.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
-थर्ड पार्टी बीमा प्रिमियम पर जीएसटी की छूट मिले और इससे एजेंट्स को मिलने वाले अतिरिक्त कमिशन को भी खत्म किया जाए।
-इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 44 एई में प्रिजेंप्टिव इनकम के तहत लगने वाले टीडीएस को बंद किया जाए और ई-वे बिल में संशोधन किया जाए।
-ट्रांसपोर्ट्स ने मांग की है कि डीजल की कीमतों को जीएसटी के दायरे में लाया जाए।
-या फिर मौजूदा समय में इन पर केन्द्रीय व राज्यों की तरफ से लगने वाले टैक्स को कम किया जाए।
-टोल कलेक्शन सिस्टम को भी बदला जाए क्योंकि टोल प्लाजा पर र्इंधन और समय के नुकसान से सालाना 1.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
-थर्ड पार्टी बीमा प्रिमियम पर जीएसटी की छूट मिले और इससे एजेंट्स को मिलने वाले अतिरिक्त कमिशन को भी खत्म किया जाए।
-इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 44 एई में प्रिजेंप्टिव इनकम के तहत लगने वाले टीडीएस को बंद किया जाए और ई-वे बिल में संशोधन किया जाए।