ये भी पढ़ें- मायावती-मुलायम संग हिट रैली के बाद अखिलेश ने भाजपा को दिया तगड़ा झटका, यह भाजपा सासंद हुआ सपा में शामिल मुलायम ने मायावती को आदरणीय बताया- मैनपुरी के क्रिश्चियन ग्राउंड पर शुक्रवार को गठबंधन की ऐतिहासिक रैली थी। इस रैली में मायावती, मुलायम और अखिलेश एक साथ मंच पर थे। इस साझा रैली पर पूरे देश की नजरें थीं। तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे थे। आशंका थी मुलायम मायावती के साथ मंच साझा नहीं करेंगे। लेकिन, सभी आशंकाओं को निर्मूल साबित करते हुए मुलायम आए। बहुत कम बोले। लेकिन बहुत बड़ा संदेश दे गए। अपने संबोधन में मुलायम ने मायावती को आदरणीय बताया। जमकर तारीफ की। इस दौरान मायावती मुस्कुराती रहीं।
ये भी पढ़ें- बन गया इतिहास, धुल गया मन का मैल, 24 साल बाद माया की तारीफ में मुलायम ने पढ़े कसीदे यह इनका एहसान है कि वह हमारे बीच हैं- मुलायम बोले- मैं आदरणीय मायावती जी का स्वागत करता हूं। हमें खुशी है कि वे आज हमारे साथ आई हैं। हम मायावती जी का सम्मान करते हैं। कार्यकर्ता भी उनका सम्मान करें यही इच्छा है। यह इनका एहसान है कि वह हमारे बीच हैं। जब भी समय आया मायावती जी ने हमारा साथ दिया है। अंत में मुलायम ने एक अपील की। मैं आखिरी बार चुनाव लड़ रहा हूं। इस बार मुझे पहले से ज्यादा वोट देकर जिता देना।
ये भी पढ़ें- मायावती ने अखिलेश को बताया सपा का एकमात्र उत्तराधिकारी, मुलायम सिंह ने कहा- मायावती जी का बहुत सम्मान करना मुलायम को मायावती ने असली पिछड़ा बताया- अब बारी मायावती की थीं। उन्होंने मंच संभाला। सबसे पहले 2 जून 1992 को हुए गेस्ट हाउस कांड का जिक्र किया। बोलीं-कभी-कभी कड़े फैसले लेने पड़ते हैं। आधे घंटे के भाषण में बसपा सुप्रीमों ने करीब सात बार मुलायम का नाम लिया। जनता से अपील की- सपा संरक्षक मुलायम जी को भारी मतो में जिता देना। मुलायम को मायावती ने असली पिछड़ा बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा। कहा वे कागजी और नकली पिछड़े हैं। मुलायम को ओबीसी के सबसे बड़ा नेता बताया। चलते-चलते माया ने अखिलेश को सपा का एकमात्र उत्तराधिकारी बताया। इस तरह उन्होंने शिवपाल सिंह यादव और उनकी पार्टी का नाम लिए बिना अपना संदेश लोगों तक पहुंचा दिया।
मायावती के भतीजे का मुलायम हुआ परिचय- रैली खत्म हुई तो तीनों नेता चलने लगे। इस बीच अखिलेश ने मायावती के भतीजे आकाश आनंद का परिचय मुलायम से करवाया। आकाश ने पूरे शिष्टाचार के साथ मुलायम से मुलाकात की। नेताजी ने आकाश को आशीर्वाद दिया। इस दौरान माया,अखिलेश की बॉडी लैग्वेज यही संदेश दे रही थी कि पार्टी स्तर के गठबंधन के बाद अब देश के दो बड़े राजनीतिक दल पारिवारिक गठबंधन की ओर बढ़ रहे हैं। बहरहाल, मन का मिलन भी हो गया। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या गठबंधन को झोली भर कर वोट भी मिलेंगे? क्या 1992 का करिश्मा यूपी में भी फिर दोहराया जाएगा। मुलायम की तारीफ और मायावती की मुस्कुराहट भविष्य में भी कायम रहेगी ? यदि ऐसा होता है तो देश की सियासत निश्चत रूप से नयी दिशा की ओर होगी।