मौज- मस्ती भी करेंगे छात्र डॉ. सहस्त्रबुद्धे के मुताबिक पहला सत्र शुरू होने पर तीन हफ्ते शुुरुआत में स्टूडेंट इंडक्शन प्रोग्राम के तहत केवल एक्सट्रा करिकुलम एक्टिविटीज होंगी। इसमें शुुरुआती सत्र में भाषा के बारे में बताया जाएगा। इसके बाद दोपहर में डिफरेंट आर्ट फॉर्म बताए जाएंगी। फिर कई एक्टिविटीज होंगी और शाम को छात्रों को फिल्म दिखाई जाएगी। डॉ. सहस्त्रबुद्धे के मुताबिक ऐसा गुरू-शिष्य परंपरा को बरकरार रखने के लिए किया जाएगा। उनके मुताबिक टीचर-स्टूडेंट में फ्रेंडली टर्म्स जरूरी हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए स्टूडेंट इंडक्शन प्रोग्राम किया जाएगा।
टीचर्स की ट्रेनिंग होगी कंपल्सरी डॉ अनिल सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि तकनीकी संस्थानों में 30-35 प्रतिशत शिक्षकों के पद खाली हैं, जिन्हें भरने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए शिक्षकों के लिए तीन माह का प्रशिक्षण शुरू किया जाएगा। इसके लिए नए नियम बनाये जा रहे हैं जिसके तहत शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाएगा। एआईसीटीई से करीब दस हजार शिक्षण संस्थान मान्यता प्राप्त है। इन सभी संस्थानों के शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु से जुड़े एवं विश्वेश्वरैया तकनीकी विश्विद्यालय के पूर्व कुलपति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
प्रशिक्षण के लिए बनेगा पाठ्यक्रम प्रशिक्षण के लिए पाठ्यक्रम बनाया जाएगा और शिक्षक भोपाल, चंडीगढ़, चेन्नई और कोलकाता स्थित राष्ट्रीय तकनीकी शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण लेंगे। इसके अलावा वे मानव संसाधन विकास मंत्रालय के ‘स्वयं’ प्लेटफोर्म से भी प्रशिक्षण ले सकेंगे। सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि आईआईटी की तरह एआईसीटीई के संस्थानों में भी छात्रों के दाखिले से पूर्व विशेष शिविर लगाये जाएंगे, जिनमें छात्र अपने शिक्षकों और सहयोगी छात्रों से परिचित होंगे तथा एक-दूसरे से संवाद करेंगे। इस शिविर में 25 छात्रों का एक बैच होगा जिसपर एक शिक्षक नियुक्त होंगे। इसमें छात्र अपनी भाषाई झिझक को भी दूर करेंगे तथा अंग्रेजी आदि भी सीखेंगे, ताकि दाखिले के बाद भाषा को लेकर कोई समस्या नहीं हो।
फीस को लेकर लिमिट तय करने का प्रयास डॉ. सहस्त्रबुद्धे के मुताबिक तकनीकि संस्थानों की फीस की अपर लिमिट को तय कर दी गई है लेकिन लोअर लिमिट अभी तय होना बाकी है। इसको लेकर भी एआईसीटीई जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकता है ताकि निजी इंजीनियरिंग कॉलेज मनमाने ढंग से छात्रों से फीस नहीं वसूल पाएं।