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संविदाकर्मियों की स्थायी नियुक्ति पर योगी सरकार अपनी स्थिति करे स्पष्ट – अजय कुमार लल्लू

locationलखनऊPublished: Nov 27, 2020 04:32:58 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

पिछले सात महीनों में संगठित क्षेत्र के 40 लाख कर्मचारियों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी

संविदाकर्मियों की स्थायी नियुक्ति पर योगी सरकार अपनी स्थिति करे स्पष्ट - अजय कुमार लल्लू

संविदाकर्मियों की स्थायी नियुक्ति पर योगी सरकार अपनी स्थिति करे स्पष्ट – अजय कुमार लल्लू

लखनऊ ,तमाम लोकलुभावन वादों के साथ सत्ता में आयी भाजपा ने चुनाव के दौरान जारी किये गये अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र में किये गये घोषणाओं को कूड़ेदान में फेंक दिया है। जहां प्रतिवर्ष 14लाख युवाओं के रोजगार का वादा किया गया था और सरकार बनने के 90 दिनों के भीतर सभी रिक्त सरकारी पदों के लिए पारदर्शी तरीके से भर्ती प्रक्रिया का वादा किया गया था वह छलावा साबित हुआ है। भाजपा ने हर घर के एक सदस्य को मुफ्त कौशल विकास प्रशिक्षण तथा प्रदेश में देश का सबसे बड़ा स्टार्टअप इन्क्यूवेटर स्थापित करने का भी वादा किया था साथ ही साथ प्रत्येक तहसील में आधुनिक कौशल विकास केन्द्र की स्थापना एवं इसके माध्मय से युवाओं को प्लेसमेंट उपलब्ध कराने का भी वादा किया गया था जो पूरी तरह खोखला, मिथ्या और झूठ साबित हुआ है।
उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने जारी बयान में कहा कि लगभग चार वर्ष पूरे करने वाली योगी सरकार अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र में किये गये 14 लाख प्रतिवर्ष रोजगार देने के वादे के अनुसार अब तक लगभग 56 लाख युवाओं को रोजगार देने के लिए कानून कब बनायेगी,उ0प्र0 सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदाकर्मियों की स्थायी नियुक्ति पर भी सरकार को अपना स्टैण्ड स्पष्ट करना चाहिए। शिक्षा मित्र, आंगनबाड़ी, अनुदेशक, आशा बहू, कस्तूरबा गांधी विद्यालय के शिक्षक, खेल प्रशिक्षक, रसोइयां इत्यादि के नियमतीकरण के लिए सरकार कब कानून बनायेगी? इस पर योगी सरकार को तत्काल अपना रूख स्पष्ट करना चाहिए।
कहा कि भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र एवं प्रदेश सरकार की गलत आर्थिक और युवा विरोधी नीतियों के चलते देश के सबसे बड़े राज्य उ0प्र0 में आर्थिक आपातकाल जैसे हालत उत्पन्न हो गये। कोरोना महामारी आने के बाद हालात बद से बदतर होते चले गये। नवम्बर माह में ही केन्द्र के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट में सरकार ने स्वयं स्वीकार किया है कि कोरोना काल में 39 लाख संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार उ0प्र0 में बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है जो वर्ष 2011-12 के पांच करोड़ के आंकड़े को भी पार कर गयी होगी।
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