समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव की दूरियां कम हो सकती है।
Akhilesh Mulayam
लखनऊ. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव की दूरियां कम हो सकती है। इसकी गुंजाइश है और दोनों नेताओं ने शुक्रवार को इस ओर इशारा भी किया है। हालांकि मेल-मिलाप को लेकर कुछ सवाल भी हैं, जिनका जवाब ढूंढना अति आवश्यक है। शिवपाल ने परिवार में सुलह के लिए पहल की बात तो कह दी, लेकिन वह अब एक पार्टी के मुखिया हैं, जिसका वह सपा में विलय शायद नहीं करना चाहेंगे। इस पर शिवपाल यादव कई दफा अपना रुख साफ कर चुके हैं। वहीं दूसरा सवाल रामगोपाल यादव को लेकर है, जिनकी ओर शिवपाल ने साफ इशारा किया और जिनको वह परिवार में एकता न होने का जिम्मेदार ठहराते हैं। रामगोपाल यादव वर्तमान में सपा के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। और जब अखिलेश और शिवपाल में वर्चस्व की जंग हुई थी, तो रामगोपाल ने अखिलेश का साथ दिया था।
ये भी पढ़ें- उपचुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद यूपी की 11 सीटों पर अब तक यह प्रत्याशी घोषिच, इस एक सीट पर गहराया सस्पेंस, देखें पूरी लिस्टरामगोपाल-शिवपाल में लड़ाई पुरानी- 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले ही पार्टी में कलह थी। पूरा परिवार अलग-थलग हो गया था। उसी दौरान जब यादव कुनबे में दरार पड़ी तो शिवपाल ने साफ तौर पर रामगोपाल यादव का नाम लिया था। उनपर सपा को तोड़ने का इल्जाम लगाया था। उसके बाद से शिवपाल और रामगोपाल के बीच लड़ाई किसी से छिपी नहीं है। दोनों ही इशारों-इशारों में एक दूसरे पर हमलावर बोल का इस्तेमाल करते देखे गए हैं।
ये भी पढ़ें- मुलायम सिंह यादव से यूपी सरकार ने छीनी उनकी luxury car, अब इससे सफर करेंगे नेताजीअखिलेश करेंगे पहल- कयास लगाए जा रहे हैं कि अखिलेश यादव चाचा को संग लाने की पहल कर सकते हैं। दरअसल लोकसभा चुनाव के उपरांत न अखिलेश को और न ही शिवपाल को राजनीतिक फायदा मिला। नतीजे ऐसे आए को दोनों ही अपने-अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाए रखने की जोर आजमाइश में लगे हुए हैं। कहा जा रहा है कि इसी कारण दोनों अपने बीच की जमी हुई कड़वाहट को शायद खत्म कर दें। हालांकि दोनों ने ही शुक्रवार को एक-दूसरे का नाम नहीं लिया, लेकिन सुलह और समझौते के दरवाजे जरूर खोल दिए। इससे मुलायम सिंह यादव को बड़ा मौका मिल गया है कि वह भी घर के सबसे बड़े मुखिया होने के नाते परिवार के दोनों सदस्यों को साथ लाने की कोशिश करेंगे, जैसे कि वे पहले से ही करते आ रहे हैं।