श्रीकांत शर्मा ने यह भी कहा कि हम इस घोटाले की जांच करा रहे हैं, साथ ही सीएम योगी सीबीआई जांच की सिफारिश कर चुके हैं। वहीं जब तक सीबीआई जांच शुरू नहीं करती, तब तक इसकी पड़ताल पुलिस महानिदेशक आर्थिक अपराध शाखा आरपी सिंह करेंगे।
ऊर्जी मंत्री श्रीकांत शर्मा ने रविवार को इसको लेकर प्रेस वार्ता की, जहां उन्होंने इस भ्रष्टाचार का ठीकरा अखिलेश यादव के सिर फोड़ा। उन्होंने कहा कि फाइनेंस कंपनियों में निवेश का निर्णय एक दिन में नहीं लिया गया था। बल्कि इसकी नींव साल 2014 में ही पड़ गई थी, जब यूपी में सपा का शासन था। पावर कारपोरेशन ट्रस्ट बोर्ड की बैठक 21 अप्रैल 2014 को हुई थी जिसमें यह निर्णय लिया गया था। श्रीकांत शर्मा ने अखिलेश यादव पर सवाल दागते हुए कहा कि वह बताएं की अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद से उनके क्या संबंध हैं। श्रीकांत का कहना है कि बैंक से इतर अधिक ब्याज देने वाली संस्थाओं में भी निवेश किया जा सकता है। मामले में गहनता से जांच की जाएगी। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार ने अपनी भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति के तहत एक बार फिर इस मामले में बड़ी कार्रवाई की है।
ये भी पढ़ें- उपचुनाव नतीजों से नाराज मायावती कर सकती हैं इस सांसद को निष्कासित, पार्टी लाइन से हटकर किया है ऐसा काम अखिलेश ने दिया जवाब- वहीं सपा अध्यक्ष ने श्रीकांत शर्मा के आरोपों का जवाब देते हुए सोशल मीडिया पर ट्वीट किया और कहा भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी सत्ता नए-नए पत्रों से जनता का ध्यान भटका रही। द्वेष की राजनीति के चलते झूठे आरोप लगा रही। DHFL से 20 करोड़ ₹ का चंदा लेने वाले भाजपा के मंत्री शर्मा जी आप बताएं ये रिश्ता क्या कहलाता है?
यह है मामला- यूपी के पॉवर कार्पोरेशन के कर्मचारियों का 2631.20 रुपए पहली मार्च 2017 से दिसंबर 2018 तक एसडीएफल में निवेश किया गया था। मार्च 2017 में जब निवेश शुरू हुआ तब अखिलेश यादव सीएम थे। इस दौरान 1000 करोड़ रुपए तो वापस मिल चुका है। लेकिन इसी बीच मुंबई हाईकोर्ट ने डीएचएफएल द्वारा किए जाने वाले सभी भुगतानों पर रोक लगा दी है। वह इसलिए क्योंकि हाल ही में कंपनी के प्रमोटरों के दाऊद इब्राहिम के एक पूर्व सहयोगी इकबाल मिर्ची की कंपनी के साथ संबंधों को लेकर प्रवर्तन निदेशालाय (ईडी) ने पूछताछ की थी। इसके बाद यूपीपीसीएल कर्मियों ने विभाग के चेयरमैन को पत्र लिखकर जीपीएफ और सीपीएफ से संबंधित पैसे के निवेश पर सवाल उठाए हैं। कंपनी में कर्मियों का करीब 1600 करोड़ रुपए फंस गया है।