लखनऊ

अब अखिलेश की नजरें एमपी और राजस्थान पर भी

इन राज्यों में सपा कर रही है अपनी जमीन तैयार, विधानसभा चुनाव में दिखाएगी अपना दम।
 

लखनऊMay 09, 2018 / 03:43 pm

Ashish Pandey

लखनऊ. बसपा से गठबंधन की बात पक्की होने और अपने घर-परिवार में रार को खत्म करने के बाद अखिलेश यादव अब अपनी पार्टी को मजबूत करने में जुटे हैं। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश अब उत्तर प्रदेश के बाहर दम दिखाने के मूड में हैं। वे अपनी पार्टी को अन्य प्रदेशों में भी विस्तार करना चाह रहे हैं। इसीलिए उनकी टीम एमपी, राजस्थान और छत्तीगढ़ में अपनी जड़ें जमाने के लिए वहां डेरा डाल चुकी हैं। इन तीनों ही राज्यों में जल्द ही विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। सपा इन तीनों राज्यों में अपनी पैठ जमाने में अभी से लग गई है।
20 मई को भोपाल का दौरा कर सकते हैं

सपा के नेता इन दिनों इन राज्यों के अलग-अलग इलाकों के दौरे पर हैं। इनके द्वारा अखिलेश यादव को रिपोर्ट देने के बाद अखिलेश यादव खुद इन राज्यों का दौरा करेंगे। इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश से हो रही है। अखिलेश यादव 18 मई को जिले और 20 मई को भोपाल का दौरा कर सकते हैं।
सपा ने सात सीटें जीती थीं

सूत्रों की मानें तो समाजवादी पार्टी की तैयारी कम से कम सौ सीटों पर चुनाव लडऩे की है। मध्य प्रदेश में 2003 के विधानसभा चुनाव में सपा ने सात सीटें जीती थीं, लेकिन उसके बाद समाजवादी पार्टी का कभी खाता नहीं खुला। अब पार्टी यहां खाता खोलने के साथ ही मजबूती के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाह रही है। इसलिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है।
सपा संरक्षक मुलायक सिंह को अखिलेश यादव से अक्सर यह शिकायत रहती थी कि उनकी मानें तो अखिलेश ने यूपी के बाहर पार्टी के बारे में नहीं सोचा। धीरे-धीरे सपा उन राज्यों में कमजोर होती गई, लेकिन अखिलेश यादव अब उसी काम में जुट गए हैं और वे मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी अपना जनाधार बढ़ा चाहते हैं इसके लिए उन्होंने अभी से तैयारी भी शुरू कर दी है।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने करीबी सुनील यादव को जिम्मेदारी दे दी है। पार्टी का इरादा यहां पर तीस सीटों पर चुनाव लडऩे का है। छत्तीसगढ़ में विधानसभा की 90 सीटें हैं। अखिलेश यादव ने पार्टी नेताओं को राज्य के सभी २७ जिलों का दौरा करने को कहा है।
समाजवादी पार्टी के एमएलसी रामवृक्ष यादव और उनके साथी नेता राजस्थान में घूम रहे हैं। मकसद है वहां सपा की राजनीतिक जमीन तैयार करने का। वैसे इन राज्यों के कुछ जिलों में बीएसपी को भी वोट मिलते रहे हैं। मुख्य रूप से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में। ऐसे में यहां यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या एसपी और बीएसपी का यूपी के बाहर भी गठबंधन हो सकता है? अगर ऐसा होता है तो क्या कांग्रेस इस गठबंधन का हिस्सा रहेगी या बाहर जाएगी? अगर ये सभी दल अलग लड़े तो निश्वित तौर पर फायदा भाजपा को ही होगा। यहां एक बात तो सच है कि सपा अब यूपी के बाहर भी अपनी जड़ें जमाने में जुट गई है।

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