रामगोपाल के लिए प्रमुख महासचिव का पद ! राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कुछेक मसलों को छोडक़र सैफई के कुनबे में एकता की पटकथा तय है। मसला सिर्फ रामगोपाल और शिवपाल के बीच उलझा है। वर्चस्व की लड़ाई में अखिलेश का साथ देने वाले पार्टी महासचिव और मुलायम के चचेरे भाई रामगोपाल खुद को शिवपाल से कम हैसियत में देखना नहीं चाहते हैं। ऐसे में अखिलेश यादव ने संगठन के ढांचे में बदलाव करते हुए प्रमुख महासचिव के दो पद गठित किये हैं। उम्मीद है कि सगे चाचा शिवपाल सिंह को राष्ट्रीय महासचिव बनाने की स्थिति में रामगोपाल को प्रमुख महासचिव के पद पर नियुक्त किया जाएगा। शिवपाल रुठेंगे तो दोनों चाचा को प्रमुख महासचिव पद सौंपा जाएगा। इसके अलावा राष्ट्रीय टीम में एक उपाध्यक्ष, दस महासचिव, एक कोषाध्यक्ष और पच्चीस सचिव होंगे। संसदीय बोर्ड में अध्यक्ष समेत नौ सदस्य होंगे। शिवपाल के भी प्रमुख महासचिव बनने की स्थिति में रामगोपाल को संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष भी बनाया जाएगा।
राज्य की टीम भी जंबो होगी, सौ सदस्य होंगे पार्टी में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जिम्मेदारी सौंपने के मकसद से पार्टी संविधान में संशोधन के जरिए तय किया गया है कि अब राज्य की कार्यकारिणी में भी अध्यक्ष सहित सौ सदस्य होंगे। कार्यकारिणी में तीन उपाध्यक्ष, एक प्रमुख महासचिव, तीन महासचिव, एक कोषाध्यक्ष, 25 सचिव होंगे। गौरतलब है कि अभी तक राज्य कार्यकारिणी में सिर्फ 51 सदस्य होते थे। पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि नौजवानों को पार्टी से जोडऩे और जिम्मेदारी सौंपने के लिए कार्यकारिणी का दायरा बढ़ाया गया है। उन्होंने कहाकि भाजपा और सांप्रदायिक ताकतों का मुकाबला करने के लिए युवाओं की फौज भी सपा से जुडऩे को तैयार है।
एक हजार नहीं, सिर्फ 20 रुपए में बनेंगे सदस्य पार्टी ने सक्रिय सदस्यता शुल्क भी एक हजार रुपए से घटाकर 20 रुपए कर दिया है। यानी सिर्फ 20 रुपए की पर्ची कटाकर सपा का सक्रिय सदस्य बनना मुमकिन है, लेकिन शर्त यह है कि संबंधित सदस्य को 50 सदस्य पार्टी में जोडऩे होंगे। पार्टी ने यह बदलाव सपा के कुनबे की ताकत बढ़ाने और नौजवानों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में जोडऩे के लिए किया है। नए बरस में नए सदस्यों को जोडऩे के लिए पार्टी नए सिरे से सदस्यता अभियान को चलाएगी।