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पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा भाजपा बहानेबाजी से अपना दिल बहलाने लगा हैं

locationलखनऊPublished: Jan 17, 2019 06:21:04 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

महिलाओं, व्यापारियों, श्रमिकों और गरीबों के हित के लिए भी जब कुछ नहीं किया गया तो भाजपा को इनसे वोट की आशा क्यों करनी चाहिए?

akhilesh yadav comment

महिलाओं, व्यापारियों, श्रमिकों और गरीबों के हित के लिए भी जब कुछ नहीं किया गया तो भाजपा को इनसे वोट की आशा क्यों करनी चाहिए?

ritesh singh

लखनऊ , समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि इन दिनों भाजपा नेतृत्व का हिसाब गड़बड़ा गया है। जबसे गठबंधन की घोषणा हुई है तब से भाजपा का शीर्ष नेतृत्व तय नहीं कर पा रहा है कि उत्तर प्रदेश में उनकी स्थिति कहां और कैसी रहेगी। चुनाव पूर्व ही भाजपा को पराजय का डर सताने लगा है। इसी घबराहट और हताशा में भाजपा नेतृत्व अब सच्चाई स्वीकार करने की जगह व्यर्थ बहानेबाजी से अपना दिल बहलाने में लगा है।

भाजपा नेतृत्व भलीभांति समझ रहा है कि जब उनकी सरकारों की हर मोर्चे पर विफलता जगजाहिर है तो जीतने की कैसे उम्मीद करें? किसानों के हित में जब भाजपा ने कोई काम नहीं किया है तो किसान उन्हें दोबारा क्यों चुनेंगे? जब नौजवानों को कहीं रोजगार नहीं मिला तो वे अपना वोट भाजपा को देकर क्यों व्यर्थ करेंगे? इसी तरह महिलाओं, व्यापारियों, श्रमिकों और गरीबों के हित के लिए भी जब कुछ नहीं किया गया तो भाजपा को इनसे वोट की आशा क्यों करनी चाहिए?

भाजपा राज में किसानों की आत्महत्याएं जारी है। कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती जा रही है। अपराधी बेखौफ हैं। मंहगाई और भ्रष्टाचार में वृद्धि रूकी नहीं। बलात्कार, लूट, अपहरण, अत्याचार और निर्दोषों के उत्पीड़न पर जब कोई नियंत्रण नहीं तो वोट भाजपा को क्यों मिलना चाहिए?

भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद उत्तर प्रदेश में प्रभारी इसलिए भेजा गया है कि कम से कम एक सीट तो बचा ली जाए। भाजपा नेतृत्व सन् 2019 के लिए मुंगेरीलाल के हसीन सपनों में खोया हुआ है इसलिए उत्तर प्रदेश में अगर वे 82 सीटों पर भी जीत का दावा करने लगे तो क्या आश्चर्य जबकि उत्तर प्रदेश में कुल जमा 80 लोकसभा की सीटें हैं।

समाजवादी पार्टी – बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन से भाजपा नेताओं के होश उड़े हुए हैं उन्हें सूझ ही नहीं रहा है कि वे कैसे उत्तर प्रदेश में रोज ब रोज दलदल में अपने पैर धंसने से बचा सके। भाजपा ने चुनावी वादों पर जनता से जो छल किया है उससे जनता अब उनको फिर कोई मौका देने को तैयार नहीं है। लोकतंत्र की इस सच्चाई का सामना करने का साहस भाजपा को जुटाना चाहिए।

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