Chief Minister ने कल ताबड़तोड़ कई घोषणाएं की। फास्टट्रैक स्पेशल कोर्ट, रात में महिलाओं को सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए पुलिस फोर्स जैसी व्यवस्थाओं पर प्रदेश मंत्रिमण्डल ने निर्णय किया। पहले भी सख्त से सख्त कार्यवाही और अपराध के प्रति जीरों टालरेंस जैसे मुहावरे Chief Minister के श्रीमुख से सुने गए है। पर नतीजा हर बार ढाक के तीन पात जैसा दिखाई दिया है। उन्नाव के जघन्य कांड के बाद भी दुष्कांड हो रहे है। अजीब बात है कि जो पुलिस दिन में बच्चियों-महिलाओं की सुरक्षा नहीं कर सकती वह रात में अकेली महिला को क्या सुरक्षा देगी?
अभी बदांयू में सिविल लाइंस क्षेत्र की एक छात्रा को शोहदे ने छेड़ा तो हेल्पलाइन 181 पर मदद मांगी। पुलिस का जवाब मिला हमारी गाड़ी में डीजल नहीं है। पीड़िता के फोन पर उसे तत्काल रिस्पांस नही मिलने की कई घटनाएं सामने आ चुकी है। समाजवादी सरकार ने 1090 और यूपी 100 नं0 की जो व्यवस्था की थी उन्हे BJP government ने शिथिल कर दिया। 100 और 112 और 112 को 100 की कवायद निरर्थक साबित हुई है।
जहां तक महिलाओ और बच्चियों के प्रति अपराधिक घटनाओ की बढ़त का सवाल है पिछले दो-तीन दिनो में ही कई दुष्कांड हुए है। बदायूं में एक किशोरी से दुष्कर्म, अंबेडकरनगर में एक आटो चालक ने महिला का रेप किया, मैनपुरी के करहल में एक छात्रा के अपहरण की कोशिश हुई, हरदोई में जिंदा जलाकर मार देने की धमकी से आतंकित दो सगी बहनो ने स्कूली पढ़ाई छोड़ दी। हरदोई में ही दो आरोपितो को पुलिस ने थाने से छोड़ दिया तो छूटते ही उन्होने पीड़िता के घर में आग लगा दी।
महिला सुरक्षा के लिए जब कारगर सुरक्षा व्यवस्था और प्रतिरक्षक सामाजिक वातावरण बनेगा तभी ऐसे जघन्य कांड रूकेगे। लेकिन भाजपा की डबल इंजन सरकार तो विभाजनकारी नीतियां बनाने में ही लगी रहती है। क्या भाजपा के Chief Minister में नारी के सम्मान के लिए अंशमात्र भी संवेदनशीलता नहीं बची है?